आसमान में तो बहुत अंधेरा होता है, फिर हमें आसमान नीला क्यों दिखाई देता है, क्या कभी आपने सोचा है

पृथ्वी चंद्रमा का अन्य कोई ग्रह सूर्य की रोशनी से प्रकाशित होते हैं। परंतु सूर्य आसमान के नीचे होता है। सूर्य और आसमान के बीच में घना अंधेरा होता है। हालांकि अब सवाल आता है कि जब आसमान में इतना ज्यादा घना अंधेरा है और अंधेरे का रंग काला होता है। तो फिर सवाल उठता हैं। आकाश को देखने पर उसका रंग नीला क्यों दिखाई देता है। क्या सच में आसमान का रंग काला होता है या फिर यह बातें सिर्फ महज एक मिथ है।

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टाटा स्टील जमशेदपुर बिहार में कार्यरत श्री रोहित शर्मा इस बात को बताते हैं कि आसमान कोई दीवार नहीं होती। इसलिए उस पर रंग भी नहीं होता। सूर्य की किरणें आसमान से टकराकर परिवर्तित नहीं होती। दरअसल आसमान का रंग नीला दिखाई देने के पीछे कुछ और कारण है यह तो आप जानते ही होंगे कि सूर्य की किरणे सफेद रंग की दिखाई देती हैं। परंतु उसमें सभी सात रंग शामिल होते हैं।

है जो सूर्य की किरणें पृथ्वी की तरफ बढ़ रही होती है तो पृथ्वी का परिवहन के कारण उठे धूल के बादलों से टकराती है। इसी टकराव कि कल सूर्य प्रकाश विभिन्न रंगों में बिखर जाता है। इस प्रक्रिया को अंग्रेजी में प्रकाश का प्रकीर्णन या बिखराव जबकि लाल रंग की वेवलेंथ लंबी होती है। इसलिए ये कम बिखरता है। इस बिखराव को Scattering of light (प्रकाश का प्रकीर्णन या बिखराव) कहा जाता है। इस प्रकार जब सूरज की किरण पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती है। और सूरज आकाश में होता होता है तो नीला प्रकाश वातावरण के चारों ओर फैल जाता है जिससे हमें नीला दिखाई देता है।

यदि इस को सरल शब्दों में समझने की बात की जाए तो आपको बता दें कि आसमान का कोई रंग नहीं होता। पृथ्वी पर खड़े होकर जब हम आसमान की तरफ देखते हैं तो प्रदूषण परिवहन के कारण वायुमंडल में उड़ रहे छोटे-छोटे क्या दोनों के बादलों पर सूर्य के प्रकाश जिस तरह से रंगोली बनाते हैं बस हमें वही दिखाई देता है।

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