इस जगह निभाया जाता है अनोखा रिवाज- रिश्तेदार की मौत पर काट दी जाती है महिला की उंगली, सूअर की चर्बी से ममी बनाकर……
दुनिया में कई प्रकार की जनजातियां पाई जाती हैं। ये जनजातियां किसी जंगल या फिर आबादियों से दूर, सुदूर इलाकों में रहती हैं। कई सारी जनजातियों को तो हमारी मॉडर्न लाइफ के बारे में पता भी नहीं चलता है। ये आज भी आदिम युग में ही जी रहे हैं। यह लोग आग जलाने के लिए अभी भी पत्थरों का ही प्रयोग करते हैं। ये लोग आम लोगों के संपर्क से कोसों दूर हैं। हालांकि, कुछ जनजातियों ने मॉडर्न तरीकों को थोड़ा बहुत अपना लिया है। अब कपड़े पहनने लगे हैं और बाहर की चीजों का प्रयोग करने लगे हैं। फिर भी आदिवासी आज भी कुछ रिवाज को मानते हैं वह बेहद अजीब है।
आज हम आप को एक ऐसी ही जनजाति के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि इंडोनेशिया के पापुआ न्यू गिनिया में रहती है जो आज भी बेहद अजीबोगरीब रिवाज को मानती है। इस जनजाति की खोज 83 साल पहले वेस्टर्न साइंटिस्ट ने की थी। इस जनजाति के लोगों की तस्वीरें लेना भी काफी मुश्किल है क्योंकि ये ट्राइब लोगों से बहुत दूर रहती है। पर फिर भी कई लोग इनके साथ दोस्ताना रवैया रखते हुए घुल-मिल जाते हैं और इनकी तस्वीरें दुनिया के सामने ले आते हैं। इसी के तहत ट्राइब से जुड़ी कुछ बातें भी दुनिया के सामने आईं।
दानी ट्राइब के लोग सालों पहले लाश खाकर जिंदा रहते थे। कुछ समय बाद इन लोगों ने धीरे-धीरे जानवरों को खाना शुरू कर दिया। दानी ट्राइब के बारे में एक और अजीबोगरीब बात है कि यह लोग अपनों की मौत के बाद उनकी लाश को दफनाते नहीं है। दानी ट्राइब जनजाति के लोग लाशों को आधा जला देते हैं और फिर घर में लाकर रख देते हैं। लाशों को उस लेवल तक जलाया जाता है जिस के बाद बॉडी को ममी जैसा प्रिजर्व किया जा सके।
यहां पर जब भी किसी की मौत होती है तो उसका अंजाम सिर्फ महिलाओं को भुगतना पड़ता है। किसी भी रिश्तेदार की मौत पर महिला के हाथ की एक अंगुली काट दी जाती है। यहां पर आपको लोगों के घरों में ममी भी मिल जाएगी। दानी ट्राइब जनजाती के लोग इन्हें अपने घर में सहेज कर रखते हैं। यहां पहले लाशों को आधा जलाया जाता है। फिर उन आधी जली लाशों पर सूअर की चर्बी लगाई जाती है। फिर उसे संभाल कर झोपड़ी में रखा जाता है। जहां हर किसी को जाने की इजाजत नहीं होती है। सिर्फ कुछ लोग ही ममी को छू सकते हैं।