इस झील को लेकर कहते हैं कि यहीं से जाता है स्वर्ग का रास्ता, महाभारत काल से है इसका ताल्लुक, जानिए

सतोपंथ यानी कि सत्‍य का रास्‍ता। मान्‍यता है कि महाभारत काल में पांडव इसी रास्‍ते से स्‍वर्ग की ओर गए थे। यही वजह है कि इस झील का नाम सतोपंथ पड़ गया। इसके अलावा यह भी बताया जाता है कि जब पांडव स्‍वर्ग की ओर जा रहे थे और एक-एक करके उनकी मृत्‍यु हो रही थी तो इसी स्‍थान पर भीम की मृत्‍यु हुई थी। इसलिए भी इस जगह का महत्‍व माना गया है।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों ने स्‍वर्ग जाने के रास्‍ते में इसी पड़ाव पर स्‍नान-ध्‍यान किया था। इसके बाद ही उन्‍होंने आगे का सफर तय किया था। इसलिए भी इसे अत्‍यंत पवित्र झील माना जाता है। इसके अलावा एक यह भी कथा मिलती है कि इसी स्‍थान पर धर्मराज युधिष्ठिर के लिए स्‍वर्ग तक जाने के लिए आकाशीय वाहन आया था।

अभी तक आपने गोल या फिर लंबाई के आकार वाली झील देखी होगी। लेकिन सतोपंथ झील का आकार तिकोना है। मान्‍यता है कि यहां पर एकादशी के पावन अवसर पर त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश ने अलग-अलग कोनों पर खड़े होकर डुबकी लगाई थी। इसलिए इसका आकार त्रिभुजाकार यानी कि तिकोना है। झील के आकार की ही तरह इसके अस्तित्‍व को लेकर भी कई मान्‍यताएं हैं। इनमें से एक यह है कि सतोपंथ में जब तक स्‍वच्‍छता रहेगी त‍ब तक ही इसका पुण्‍य प्रभाव रहेगा। यही वजह है कि झील के रखरखाव का खास ख्‍याल रखा जाता है।

सतोपंथ झील से कुछ दूर आगे चलने पर स्‍वर्गारोहिणी ग्‍लेशियर नजर आता है। जिसे स्‍वर्ग जाने का रास्‍ता भी कहा जाता है। कहा जाता है कि इस ग्‍लेशियर पर ही सात सीढ़‍ियां हैं जो कि स्‍वर्ग जाने का रास्‍ता हैं। हालांकि इस ग्‍लेशियर पर अमूमन तीन सीढ़‍यिां ही नजर आती हैं। बाकी बर्फ और कोहरे की चादर से ढकी रहती हैं।

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