ऋषि वशिष्ठ श्रीराम के कुलगुरु थे, एक दिन विश्वामित्र शिकार खेलते-खेलते बहुत दूर निकल आए, आराम करने के लिए वे ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में……..

ऋषि वशिष्ठ श्रीराम कुलगुरु थे। इन्हीं की सलाह पर राजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ किया था। यज्ञ के फल से श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। इन्होंने वशिष्ठ पुराण, वशिष्ठ श्राद्धकल्प, वशिष्ठ शिक्षा आदि ग्रंथों की रचना भी की।

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जब विश्वामित्र एक राजा थे, तब एक दिन वे शिकार खेलते-खेलते बहुत दूर निकल आए। आराम करने के लिए वे ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में रुक थे। आश्रम ने विश्वामित्र ने कामधेनु नंदिनी गाय को देखा। नंदिनी गाय को देख विश्वामित्र ने वशिष्ठ से कहा कि ये गाय आप मुझे दे दीजिए, लेकिन ऋषि वशिष्ठ ने कामधेनु को देने से मना कर दिया।

राजा विश्वामित्र कामधेनु को बलपूर्वक अपने साथ ले जाने लगे। तब ऋषि वशिष्ठ के कहने पर नंदिनी गाय ने विश्वामित्र सहित उनकी पूरी सेना को भगा दिया। ऋषि वशिष्ठ का ऐसा प्रभाव देखकर विश्वामित्र बहुत हैरान हो गए। इस घटना के बाद विश्वामित्र ने राज-पाठ छोड़ दिया और तप करने लगे। वशिष्ठ जी के ज्ञान और तप के प्रभाव से विश्वामित्र की सोच बदल गई और बाद में वे भी बह्मर्षि बन गए।

सीख – गुरु अपने ज्ञान और तप से किसी भी व्यक्ति की सोच बदल सकते हैं।

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