एक आश्रम में दो छात्र साथ में पढ़ाई करते थे, दोनो के बीच बहुत गहरी दोस्ती थी, एक दिन उन्हें गुरुजी बगीचे में लेकर गए, वहां उन्होंने देखा कि एक लड़का पत्थर मारकर पेड़ से आम तोड़ने की कोशिश कर रहा है……
एक आश्रम में बच्चे पढ़ाई करते थे। वहां पढ़ने वाले 2 बच्चों में काफी गहरी दोस्ती थी। वह दोनों बच्चे काफी होशियार थे। गुरु के वे प्रिय शिष्य थे। 1 दिन आश्रम के गुरू सभी बच्चों को घुमाने ले गए। बच्चों की नजर बगीचे में मौजूद आम के पेड़ पर पड़ी। एक बच्चे ने पत्थर मारकर आम तोड़ने का प्रयास किया।
जब गुरु जी ने यह देखा तो उन्होंने अपने दो प्रिया शिष्यों से पूछा कि क्या तुमने देखा कि उस बच्चे ने अभी क्या किया था। दोनों शिष्यों ने कहा कि हां गुरुवर हमने देखा कि उस बच्चे ने पत्थर मार कर पेड़ से आम तोड़ने का प्रयास किया। गुरु ने उनसे पूछा कि इस दृश्य को देखकर तुम क्या सोचते हो।
एक शिष्य ने उत्तर दिया कि जिस तरह से उसने वृक्ष से फल तोड़ने के लिए पत्थर का इस्तेमाल किया। उसी तरह से किसी से काम करवाने के लिए दंड का इस्तेमाल करना चाहिए।
जबकि दूसरे शिष्य ने कहा कि पेड़ पत्थर खाकर दूसरों को मीठे-मीठे फल दे रहा है। उसी तरह से हर किसी को अपने दुख सहकर दूसरों की मदद करनी चाहिए। यह सज्जन लोगों की पहचान होती है।
दोनों शिष्यों का उत्तर सुनने के बाद गुरु ने कहा कि जीवन में दृष्टिकोण बहुत ही आवश्यक होता है। तुम्हारे सामने जो घटना घटी उसने तुम्हारे मन में अलग-अलग विचार आए। दृष्टिकोण से ही मनुष्य जीवन की हर घटना को समझता पाता है और वह उसी के मुताबिक काम करता है और उसे उसका फल मिलता है। प्रेम से व्यक्ति के व्यवहार को बदला जा सकता है। लेकिन दंड से कुछ भी नहीं किया जा सकता। इसी कारण प्रेम सबसे श्रेष्ठ होता है।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि दूसरों की मदद करना हमारा पहला कर्तव्य है। हर किसी के साथ प्रेमभाव रखना चाहिए। प्रेम से हर चीज संभव है। लेकिन दंड से कुछ भी नहीं हो सकता।