एक गरीब किसान ने गांव के ही एक साहूकार से कर्ज ले लिया था, वह उस कर्ज को चुका नहीं पा रहा था, साहूकार उससे बोला मेरा कर्ज लौट आओ या अपनी बेटी की शादी मुझसे करो……

एक गरीब किसान ने साहूकार से कर्ज लिया जिससे वह नहीं चुका पा रहा था। साहूकार ने किसान से कहा या तो मेरा कर्ज लौटा दो या अपनी बेटी की शादी मुझसे करा दो। अब किसान और उसकी बेटी दोनों परेशान हो गए। किसान ने कहा यह अच्छा नहीं है। ऐसा कैसे हो सकता है।

साहूकार ने बताया कि मैं एक बैग में काला और सफेद पत्थर रख दूंगा। तुम्हारी बेटी को एक पत्थर निकालना होगा। यदि काला पत्थर निकलता है तो उसको मुझसे शादी करनी होगी। यदि सफेद पत्थर निकलता है तो मैं तुम्हारा पूरा कर्ज माफ कर दूंगा और तुम्हारी बेटी से शादी नहीं करूंगा। यदि तुम्हारी बेटी बैग में से पत्थर निकालने के लिए राजी नहीं होती है तो तुम्हारी बेटी को शादी तो करनी ही होगी और मैं तुम को जेल भिजवा दूंगा।

अब किसान और उसकी बेटी के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। इन दोनों को भगवान पर भरोसा था। इसीलिए वह साहूकार की बात मानने के लिए तैयार हो गए। साहूकार ने बैग में दो पत्थर डाल दिए। लेकिन लड़की ने देख लिया कि उसने बैग में दोनों पत्थर काले डाले हैं। उसने एक भी सफेद पत्थर नहीं डाला। लड़की सोचने लगी मेरे सामने तीन विकल्प है। अब मुझे क्या करना चाहिए।

पहला विकल्प यह था कि यदि वह पत्थर नहीं निकालती है तो भी उसको शादी करनी होगी। दूसरा विकल्प यह था कि वह साहूकार को बोल सकती है कि उसने चालाकी की है। उसने बैग में दोनों काले पत्थर डाले हैं। ऐसा करने से साहूकार धोखेबाज साबित हो जाएगा। पर उसके पिता का कर्ज माफ नहीं होगा। इसके अलावा उसके पास तीसरा विकल्प यह था कि वह तीसरा पत्थर चुन ले और साहूकार से विवाह कर ले। ऐसा करने से उसके पिता का कर्ज भी खत्म हो जाएगा।

हालांकि लड़की ने दिमाग चलाया और चौथा विकल्प ढूंढ निकाला। उस लड़की ने बैग में हाथ डालकर पत्थर निकाला और उसे नीचे गिरा दिया। लड़की ने कहा कि मैंने पत्थर निकाला। लेकिन वह हाथ से छूट गया। जमीन पर बहुत सारे काले सफेद पत्थर पड़े हुए थे। इसलिए मालूम नहीं पड़ा कौन-सा पत्थर था।

लड़की ने कहा मैं अभी पता लगा लेती हूं कि मैंने कौन सा पत्थर निकाला। जब उसने बैग में से दूसरा पत्थर निकाला तो वह काले रंग का था। लड़की ने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि मैंने सफेद पत्थर निकाला था। साहूकार बहुत हैरान हुआ। साहूकार ने अपने बैग में दोनों काले पत्थर रखे थे। साहूकार को किसान का कर्ज माफ करना पड़ा और उसकी शादी भी नहीं हो पाई।

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि चाहे कितनी भी परेशानी क्यों ना हो भगवान पर विश्वास रखना चाहिए। भगवान हर किसी की मदद करते हैं।

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