एक गरीब व्यक्ति गरीबी के कारण हर समय परेशान रहता था, वह गरीबी दूर करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा था लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिल पाई, आखिर में आकर…….

एक गरीब व्यक्ति अपने जीवन में बहुत परेशान था. वह अपनी गरीबी को दूर करने की कोशिश कर रहा था. लेकिन उसको सफलता नहीं मिल रही थी. वह एक दिन हिम्मत हार गया और उदास हो गया. फिर कुछ दिन बाद उसकी मुलाकात एक संत से हुई. उसने संत को अपनी परेशानियों के बारे में बताया. तब संत ने उससे कहा कि तुम्हें निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि प्रयास करते रहना चाहिए. यह सुनकर व्यक्ति ने संत से कहा कि मैं पूरी तरह से हार चुका हूं और अब मैं कुछ नहीं कर सकता.

संत समझ गया कि इस व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार आ गए हैं. तब संत ने उस व्यक्ति को एक कहानी सुनाई. इस कहानी के अनुसार, संत ने कहा- एक छोटे बच्चे ने एक साथ बांस और कैक्टस का पौधा लगाया. वह बच्चा हर रोज दोनों पौधों को पानी देता और अच्छे से उनकी देखरेख करता. कई महीनों बाद कैक्टस का पौधा पनप गया. लेकिन बांस का पौधा नहीं पनपा. फिर भी बच्चे ने हिम्मत नहीं हारी. वह दोनों पौधों की देखभाल करता रहा.

कुछ महीनों बाद बांस का पौधा बिल्कुल भी नहीं पनपा, जबकि कैक्टस का पौधा बहुत फैल गया. लेकिन फिर भी बच्चा निराश नहीं हुआ. वह लगातार पौधों को पानी देता रहा. कुछ महीने बाद बांस का पौधा पनप गया और देखते ही देखते कैक्टस के पौधे से भी विशाल हो गया. संत ने उसे समझाया कि बांस का पौधा अपनी जड़ें मजबूत कर रहा था, इसीलिए उसे पनपने में थोड़ा समय लग गया.

ऐसे ही जब हमारे जीवन में संघर्ष के दिन आए तो हमें अपनी जड़ों को मजबूत करना चाहिए. ना कि निराश होकर बैठ जाना चाहिए. जब हमारी जड़ें मजबूत हो जाएंगी तो हम अपने लक्ष्य को तेजी से प्राप्त कर पाएंगे. हमें धैर्य रखना चाहिए. संत द्वारा समझाई गई बात को युवक समझ गया और फिर से उसने अपना काम शुरू कर दिया.

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