एक गांव में एक गरीब किसान रहता था, एक बार बाढ़ की वजह से उसकी फसल खराब हो गई, दूसरी फसल बोई तो इस बार बारिश नहीं हुई, लगातार दो बार फसल बर्बाद होने से वह भगवान पर नाराज हो गया…….

एक गांव में एक किसान रहता था जिसकी फसल बाढ़ आने की वजह से खराब हो गई। जब उसने दूसरी बार फसल बोई तो बारिश नहीं हुई। लगातार उसकी दो बार फसल बर्बाद हो गई। इस वजह से वो भगवान से नाराज हो गया और उनको बुरा भला बोलने लगा। किसान की बातें सुनकर भगवान प्रकट हुए। भगवान ने किसान से कहा कि तुम मुझसे कोई भी वरदान मांग सकते हो।

उस किसान ने कहा कि भगवान आप मुझे सिर्फ एक मौका दे दीजिए। मैं जैसा चाहूं, वैसा मौसम हो जाए। फिर आप देखना कि मैं कैसे अन्न के भंडार भर दूंगा। भगवान ने किसान को उसका मनचाहा वरदान दे दिया। किसान ने अबकी बार गेहूं की फसल बोई और उसे मनचाहा मौसम मिला।

समय बढ़ने के साथ-साथ फसल भी बड़ी हो गई और किसान को बहुत खुशी हुई थी। इससे पहले ऐसी फसल कभी नहीं हुई। किसान ने मन ही मन विचार किया कि अब भगवान को पता चलेगा कि फसल कैसे करते हैं। बिना वजह ही हमें इतने सालों से परेशान कर रहे थे।

कुछ समय बाद फसल काटने का वक्त आया। वह बहुत ही गर्व के साथ गांव में फसल काटने गया। लेकिन उसने देखा की बाली में गेहूं का एक भी दाना नहीं है। अब किसान को बहुत ही ज्यादा दुख हुआ और भगवान से पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया।

भगवान ने प्रकट होकर कहा कि यह तो तुम्हारे साथ होना ही था। तुमने अपने पौधों को बिल्कुल भी संघर्ष नहीं दिया। इसी वजह से पौधे खोखले रह गए। जब आंधी और तेज बारिश आती तो यह खुद को बचाने के लिए संघर्ष करते और इनके अंदर ऊर्जा का संचार होता। तब पौधों में अन्न उपजता है।

कहानी की सीख

जब भी हमें सफलता नहीं मिलती है तो हम भगवान को दोष देने लगते हैं। हालांकि इसका दूसरा नजरिया भी है। यदि सभी लोगों को बिना संघर्ष किए ही सब कुछ मिल जाएगा तो लोग संघर्ष के महत्व को ठीक तरह से नहीं समझ पाएंगे।

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