एक गांव में एक गरीब लड़का रहता था, उसके मां-बाप नहीं थे, छोटे-मोटे काम करके वह अपना जीवनयापन करता था, एक दिन वह पास के एक बड़े नगर में पहुंचा, काफी दिन से उसने कुछ भी नहीं खाया था…….

एक कथा के अनुसार, पुराने समय में एक गरीब लड़का था जिसके माता-पिता भी नहीं की और ना ही उसका कोई रिश्तेदार था। इस वजह से उसे शिक्षा भी नहीं मिली। वह गांव के लोगों के यहां छोटा-मोटा काम करके अपनी रोज के खर्चों की व्यवस्था करता था। एक दिन उसने सोचा कि उसे बड़े नगर में जाना चाहिए। वहां उसे ज्यादा काम मिलेगा और ज्यादा धन कमा पाएगा।

लड़का गांव के पास एक बड़े नगर में पहुंचा। उसने काफी समय से कुछ भी नहीं खाया था। इस वजह से उसे भूख लग रही थी। उसने खाने के लिए लोगों से मदद मांगी। लेकिन किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। एक व्यापारी ने उसे देखा तो उसने उसे बुलाकर खाना दिया। लड़के ने व्यापारी से कहा कि आप मुझे कोई काम दे दो, मैं कड़ी मेहनत करूंगा और आपको शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा।

वह लकड़ियों का व्यापारी था, उसने लड़के को अपने यहां काम पर रख लिया। उसने लड़के से कहा कि उसे जंगल में पेड़ काटने हैं, जिसके लिए वह तैयार हो गया। व्यापारी ने लड़के को कुल्हाड़ी दे दी। पहले दिन तो लड़के ने 15 पेड़ काट दिए, जिससे व्यापारी बहुत खुश हुआ। उसके अगले दिन लड़का केवल 10 ही पेड़ काट पाया। लड़के ने सोचा अगले दिन ज्यादा पेड़ काटूंगा। लेकिन अगले दिन लड़का 5 पेड़ का ही काट पाया।

फिर लड़के ने निराश होकर व्यापारी से पूछा कि मैंने पहले दिन तो बहुत पेड़ काटे। लेकिन अब क्यों नहीं काट पा रहा तो व्यापारी है उससे पूछा कि क्या तुम कुल्हाड़ी की धार तेज करते हो। लड़के ने जवाब दिया- नहीं। व्यापारी ने कहा कि कुल्हाड़ी में धार ही नहीं है। इस वजह से तुम कम पेड़ काट रहे हो। तुम्हें रोज अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज करनी चाहिए। तब तुम कम मेहनत में ज्यादा पेड़ काट पाओगे। लड़के को ये बात समझ में आ गई और फिर उसने रोज ऐसा ही किया।

कथा की सीख

इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि हम जो भी काम करें, उससे पहले हमें उससे जुड़ी सारी बारीकियों को समझ लेना चाहिए, क्योंकि पूरा ज्ञान होने से हमारी सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

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