एक गुरुकुल में एक लड़का रहता था, वह हमेशा अपने खाने के बर्तनों को अच्छी तरह से साफ करने के बाद ही भोजन करता था, उसके साथी यह देखकर…….

एक गुरुकुल में एक ऐसा लड़का था जो प्रतिदिन अपने मित्रों के साथ भोजन करता था। लेकिन उसके सभी मित्र अपनी थाली में बेहिसाब खाना परोसते थे। जबकि वह लड़का अपने भोजन के बर्तन अच्छी तरह से साफ करता और हिसाब से ही खाना परोसता था। हालांकि उसके सभी मित्रों उसका मजाक उड़ाते थे। एक बार उससे पूछा कि तुम रोज बर्तन में खाना क्यों नहीं छोड़ते हो।

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गुरुकुल में एक लड़का रहता था, जोकि खाना खाते समय अपने बर्तनों को काफी अच्छी तरह से साफ करके भोजन करता था, यह देखकर उसके सभी साथी उसका मजाक उड़ाते थे, एक दिन उसने अपने सभी साथियों से

लड़के ने बताया कि इसके पीछे 3 वजह है। लड़के ने कहा कि पहली वजह यह है कि मैं अपने पिता का आदर करता हूं। वह दिन रात मेहनत करके खाने का इंतजाम करते हैं। दूसरी वजह यह है कि मैं अपनी माता का भी आदर करता हूं जो मेहनत से खाना तैयार करती है। यदि मैं खाना फेंक दूंगा तो उनकी मेहनत बेकार जाएगी।

तीसरी वजह यह है कि मैं अपने किसानों का भी सम्मान करता हूं जो इतनी मुश्किल से खेती करते हैं और अनाज उगाते हैं। यदि मैं इस खाने को फेंक दूंगा तो उनका अपमान होगा। उसके सभी मित्र इस बात को सुनकर शर्मिंदा हो गए और उसकी प्रशंसा करने लगे।

कहानी की सीख

आज के दौर में ऐसा देखने को मिल रहा है कि लोग अपनी थाली में बेहिसाब खाना रख लेते हैं। जब वे पूरा खाना नहीं खाते है तो वह उसे कचरे में फेंक देते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। इस संसार में कई सारे ऐसे लोग हैं जिनको एक वक्त का भी खाना नसीब नहीं होता है। इसलिए जितना हो सके उतना ही थाली में खाना रखना चाहिए।

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