एक दुकान पर संत ने डिब्बों की ओर इशारा करते हुए दुकानदार से पूछा कि इन डिब्बों में क्या है? सभी डिब्बों में अलग-अलग चीजें थीं, खाली डिब्बे के लिए दुकानदार ने कहा हम……….
संत ने दुकानदार से दुकान में रखे डिब्बों के बारे में पूछा, सभी डिब्बों में अलग-अलग चीजें रखी थीं, खाली डिब्बे के लिए दुकानदार ने कहा हम खाली को खाली नहीं कहते, उसे राम-राम कहते हैं
संत ने दुकानदार से डिब्बों की ओर इशारा करते हुए पूछा कि इन डिब्बों में क्या है? दुकानदार ने बताया कि किसी डिब्बे नमक है, किसी में मिर्ची है, किसी में हल्दी रखी है। इसके बाद संत ने दुकान में एक तरफ रखे डिब्बे की ओर इशारा किया और पूछा उसमें क्या है? दुकानदार ने कहा कि उसमें राम-राम है।
संत ने हैरान होते हुए पूछा ये राम-राम नाम की कौन सी चीज है?
दुकानदार ने जवाब दिया कि महाराज वो डिब्बा खाली है। हम खाली को खाली नहीं कहते हैं, उसे राम-राम कहते हैं।
ये बात सुनते ही संत की आंखें खुल गई। संत को समझ आ गया कि जब तक हमारा मन खाली नहीं होगा, उसमें भगवान का वास नहीं हो सकता। जिन लोगों के मन में क्रोध, लालच, ईर्ष्या जैसी बुराइयां भरी हैं, उनमें भगवान कैसे रह सकते हैं।