एक धनवान सेठ के पास सुख-सुविधा की हर एक चीज मौजूद थी, उसके परिवार में भी किसी को कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन वह सेठ हमेशा…….

एक सेठ के पास बहुत धन संपत्ति थी। उसके पास हर सुख-सुविधा की चीज मौजूद थी। लेकिन सेठ हमेशा अशांत रहता था। जबकि उसके घर में कोई भी परेशानी नहीं थी। एक बार सेठ प्रसिद्ध संत के पास पहुंच गया और संत के पास जाकर सेठ ने अपनी समस्या बताईं और पूछा कि मुझे कोई ऐसा उपाय बताइए जिससे मुझे शांति मिल जाए।

संत सेठ की बात को सुनकर वहां से चल दिए और आश्रम के बाहर पहुंच गए। सेठ भी संत के पीछे पीछे आ गया। साधु ने बाहर आकर कुछ लकड़ियों को उठा कर जला दिया। थोड़ी-थोड़ी देर पर संत आग में एक-एक लड़कियां डाल रहे थे। कुछ देर बाद आग बहुत तेज हो गई।

एक बार फिर संत वहां से आश्रम में आकर अपनी जगह पर बैठ गए। सेठ भी उसके पीछे आ गया। सेठ ने कहा कि गुरुवर मैंने आपसे अपनी समस्या का हल पूछा। लेकिन आपने मुझे नहीं बताया। संत ने कहा मैंने तुम्हारी समस्या का हल बता दिया। लेकिन तुम्हें समझ नहीं आया।

संत ने कहा कि हमारे क्रोध, लालच, मोह की आग होती है। हम यदि अपने मन में क्रोध, लालच, मोह की लकड़ियां डालते हैं तो यह आग बढ़ जाती है। इस वजह से हमारा मन अशांत रहता है। यदि तुम भी शांति पाना चाहते हो तो इन सभी बुरी आदतों को छोड़ दो। तुमको निस्वार्थ प्रेम करना होगा। ऐसा करके ही तुम को शांति मिलेगी।

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है जो लोग अपने मन में क्रोध, लालच, मोह की भावना रखते हैं वह कभी भी सुखी नहीं रहते हैं। हमेशा सुखी रहने के लिए सिर्फ खुश रहना चाहिए। बिना वजह चिंता नहीं करनी चाहिए।

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