एक पागल हाथी सड़क पर दौड़ रहा था, उसके सामने से महात्मा का एक शिष्य आ रहा था, महावत ने तुरंत ही उस शिष्य को आवाज दी कि सामने से हट जाओ, लेकिन……
हमेशा गुरु जी अपने शिष्य को शिक्षा देते थे कि कण-कण में भगवान का वास है। संसार में कोई भी ऐसी चीज या वस्तु नहीं है, जिसमें भगवान नहीं हो। संसार में मौजूद हर वस्तु को भगवान मानकर नमन करना चाहिए। यह गुरु की शिक्षा का निचोड़ था।
1 दिन गुरूजी का शिष्य बाजार में जा रहा था। तभी पागल हाथी तेजी से दौड़कर आ रहा था। महावत चिल्ला रहा था कि हट जाओ हट जाओ, हाथी पागल हो गया है। उसी वक्त गुरू की बात शिष्य को याद आ गई और वह वहां से नहीं हटा। शिष्य ने विचार किया कि गुरु जी ने कहा था कि हर चीज में भगवान का निवास है, तो हाथी भी भगवान है और भगवान को भगवान से क्या भय। ये सोचकर वह भगवान की भक्ति में लीन हो गया और रास्ते में ही खड़ा रहा। लेकिन हाथी शिष्य को फेंक कर चला गया। शिष्य बुरी तरह घायल हो गया और दर्द से चिल्ला रहा था।
शिष्य को सबसे अधिक पीड़ा इस बात की हुई कि वह भगवान ने ही भगवान को क्यों मारना चाहा। उसके मित्रों ने उसको उठाया और आश्रम में ले गए। तब उसने अपने गुरु से कहा कि आपने कहा था कि हर चीज में भगवान है तो हाथी ने मेरी ऐसी हालत क्यों कर दी। इसका जवाब देते हुए गुरु ने कहा था कि हाथी भगवान का रूप है। लेकिन महावत में भी तो भगवान है। तुमने उसकी बात क्यों नहीं मानी, जिसके बाद शिष्य को अपनी गलती का एहसास हुआ।
कहानी की शिक्षा
हम अक्सर अपनी परेशानियां भगवान पर छोड़ देते हैं। लेकिन अगर हम थोड़ा-सा भी दिमाग लगाएंगे तो खुद ही परेशानियों का निवारण कर लेंगे। हर जगह किताबों का सहारा लेना ही आवश्यक नहीं होता है, बल्कि प्रैक्टिकली सोचना भी जरूरी होता है।