एक प्रसिद्ध संत एक राज्य में पहुंचे, जब वे वहां के राजा से मिले तो राजा उनकी बातों से काफी प्रभावित हुआ, संत की बातें धर्म और लोगों की सुख-समृद्धि…….
पुरानी लोक कथा के अनुसार पुराने समय में एक राजा के राज्य में एक संत आए. जब राजा कि उनसे मुलाकात हुई तो वह बहुत प्रभावित हुए. संत की बातें धर्म और लोगों की सुख-समृद्धि से जुड़ी हुई बातें थी. इस कारण राजा ने उन्हें अपने साथ ही रख लिया. महल में संत को भी एक शाही कमरा और सभी सुख-सुविधाएं दे दी गई. राजा राज्य के सभी कामों में संत की सलाह भी लेने लगा.
एक दिन राजा और संत दोनों ही जंगल में घूमने के लिए गए. जंगल काफी घना था. इस वजह से दोनों अपना रास्ता भूल गए. काफी भटकने के बाद भी उन्हें रास्ता नहीं मिल पाया. भूख की वजह से दोनों की हालत एकदम खराब होने लगी. तभी राजा को एक फल नजर आया. उसने वह फल थोड़ा और उसके 6 टुकड़े कर लिए. पहला टुकड़ा उसने संत को खाने के लिए दे दिया. जब संत ने पहला टुकड़ा खाया तो उसने कहा कि यह तो बहुत ही स्वादिष्ट है, मुझे और दीजिए. ऐसा कर संत ने एक के बाद एक राजा से 5 टुकड़े और लेकर खा लिए.
यह देख राजा को बहुत गुस्सा आया और वह बोला कि मैं भी भूखा हूं और तुम अकेले ही खा रहे हो. इतना कहते ही राजा ने आखिर टुकड़ा खा लिया. जैसे ही वह फल राजा ने खाया उसे तुरंत ही थूक दिया. क्योंकि वह फल का टुकड़ा बहुत कड़वा था. राजा ने संत से कहा कि आखिर तुम इतना कड़वा फल कैसे खा सकते हो.
संत ने राजा को जवाब दिया कि आपने मुझे हमेशा मीठे ही फल खिलाए हैं. अगर एक बार मुझे कड़वा फल मिले तो में शिकायत कैसे कर सकता हूं. मैं पूरा फल खा लेना चाहता था ताकि आपको यह कड़वा फल ना खाना पड़े.
कथा की सीख
हम सभी को इस छोटी सी कथा से यह सीख मिलती है कि जहां प्रेम और मित्रता होती है, वहां कभी भी शिकायत नहीं करनी चाहिए. वरना रिश्ता कभी भी नहीं टिक पाता है. यह बात हमें हमेशा ही ध्यान रखनी चाहिए.