एक बार एक आदमी फल खरीदनेके लिए बाजार गया, एक ठेले पर उसने देखा कि फल बेचने वाला वहां नहीं है, उसे ठेले पर उसे एक बोर्ड दिखाई दिया, उस पर लिखा हुआ था कि मेरी मां बीमार है, मुझे अपनी मां को दवाई….
एक बार एक आदमी फल खरीदने के लिए बाजार में पहुंचा तो उसने देखा कि ठेले पर फल तो है लेकिन फल बेचने वाला कोई नहीं है। उसे ठेले पर एक बोर्ड भी दिखाई दिया जिस पर लिखा हुआ था कि मेरी मां बीमार है थोड़ी थोड़ी देर पर मुझे अपनी मां को दवाई देने के लिए जाना पड़ता है। अगर आपको ज्यादा जल्दी है तो आप फलों को तौलकर उसके पैसे गल्ले में रख दे। उसके नीचे फलों की रेट लिस्ट भी लिखी हुई थी।
व्यक्ति ने थोड़ा देर इंतजार किया। लेकिन वह नहीं आया तो आदमी ने एक किलो सेब, एक दर्जन केले ले लिए और रेट के हिसाब से उनके पैसे गल्ले में डाल दिए। फल खरीदने के बाद वह व्यक्ति अपने घर पर आ गया। वह व्यक्ति शाम को घूमने के लिए निकला तो उसे एक कमजोर-सा आदमी फलों का वही ठेला ले जाते हुए दिखा।
व्यक्ति ने हिम्मत जुटाकर उस आदमी से पूछा कि तुम हर रोज इसी तरह अपना ठेला छोड़कर मां को दवाई देने के लिए चले जाते हो। क्या तुम्हें चोरी होने का डर नहीं है।
उस फल वाले ने थोड़ा-सा मुस्कुराते हुए कहा कि पिछले कुछ महीनों से मेरी मां बीमार है। मेरा मां के अलावा परिवार में कोई भी नहीं है। मुझे मां की देखभाल के लिए ज्यादातर वक्त उसी के पास रहना पड़ता है। मैं हर रोज फल का ठेला इसी जगह पर लाकर खड़ा कर देता हूं और उस पर बोर्ड लगा देता हूं और शाम के वक्त ठेला लेकर चला जाता हूं।
आज तक मेरा एक भी फल और पैसे चोरी नहीं हुए , बल्कि मुझे पैसे ज्यादा मिलते हैं। कुछ लोग मेरी मां के लिए खाना रख जाते हैं तो कुछ और जरूरत की चीजें। कल एक बच्ची ने पुलाव बना कर ठेले पर रख दिया था और उसके साथ एक पर्ची भी छोड़ी थी जिसमें लिखा कि अम्मा के लिए।
कुछ समय पहले एक डॉक्टर साहब इस ठेले पर एक पर्ची पर फोन नंबर लिख कर छोड़ गए थे। उस पर लिखा था कि अगर मां की हालत ज्यादा गंभीर हो तो मुझे फोन कर लेना। मैं आ जाऊंगा।
इस तरह हर रोज मैं अपनी मां की सेवा कर लेता हूं और मेरी आमदनी भी हो जाती है। इतना कहकर वो ठेला वाला चला गया।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि मां बाप की सेवा हर किसी का पहला कर्तव्य है। कई बार जीवन में ऐसी परेशानियां आ जाती है जिससे हम अपने मां बाप की सेवा नहीं कर पाते। लेकिन परेशानियों में बुद्धि से काम लेने से सभी हल निकल आते हैं।