एक बार एक आश्रम नया शिष्य आया, संत ने उसे गाय की देखभाल के लिए लगा दिया, इस काम से वह बहुत खुश था, क्योंकि उसे रोजाना दूध पीने के लिए मिल जाता था, कुछ दिनों के बाद…….
एक बहुत ही पुरानी लोक कथा के मुताबिक पुराने समय में किसी गांव में एक विद्वान रह गए थे। हालांकि गांव के सभी लोग जानते थे कि वह विद्वान है और सभी लोग उनका बहुत ज्यादा सम्मान करते थे इतना ही नहीं लोग उस संत के पास अपनी समस्याएं लेकर जाते थे और संतुष्टि सभी बातों को सुनकर समस्याओं का हल बता देते संत के पास एक बहुत ही ज्यादा दुखी व्यक्ति आया और बोला कि गुरु जी मैं अपने जीवन में आने वाली समस्याओं से बहुत ज्यादा निराश हो चुका हूं। कृपया करके आप मुझे अपना शिष्य बना ले मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं। संत ने उस व्यक्ति को बात को समझा और कहा है कि अब से तुम यहीं रहो और आज से ही गायों की देखभाल करो सुबह शाम दूध का सेवन करो। गायत्री मंत्र का जाप करो।
उसकी बातों को सुनकर व्यक्ति बहुत ज्यादा खुश हो गया और सुबह शाम ताजा ताजा दूध निकालने लगा। व्यक्ति गाय की देखभाल चालू कर दी और कुछ ही दिनों में वह बहुत ज्यादा तंदुरुस्त हो गया उसने संत से कहा कि गुरुदेव अब मेरी जिंदगी में बहुत ज्यादा आनंद है मैं गाय की देखभाल करता हूं मस्त रहता हूं गुरुदेव ने कहा कि ठीक है।
एक दिन वह गाया आश्रम से कहीं चली गई बहुत खोजने के बाद भी उस व्यक्ति को नहीं मिली गाय के ना मिलने की वजह से वह व्यक्ति बहुत ज्यादा परेशान हो गया। उसने अपने ग्रुप को इस बात की जानकारी दी उन्होंने कहा कि ठीक है।
कुछ दिनों के बाद शिष्य को गाएं मिल गई और वह दोबारा से खुश हो गया। उसने अपने गुरु को जाकर के तुरंत संदेश दिया कि गाय मिल गई है उसके गुरु ने कहा कि यह भी ठीक है।
वह व्यक्ति अपने गुरु की बातों को सुनकर हैरान हो गया उसने गुरु से कहा कि गुरुदेव तब भी मैंने आपको बताया कि गाय के दूध के सेवन से मैं बहुत ज्यादा खुश हूं। तब भी आप ने कहा कि ठीक है इसके बाद जो मैंने कहा कि गायब हो गई है तभी आपने कहा कि ठीक है और जब मैंने कहा कि गाय में ही गई है तब भी आप कह रहे हैं कि ठीक है तो ऐसा क्यों है।
गुरु ने शिष्य से कहा कि यही जीवन जीने का सही सही तरीका होता है। हमारे जीवन में जैसे भी परिस्थितियां आए हमें उसे ठीक से समझना चाहिए और परिस्थितियों के मुताबिक खुद को ढाल लेना चाहिए यही सुखी जीवन का एक मूल मंत्र होता है।