एक बार एक ग्वाला जंगल में अपनी गायों को चरा रहा था, तभी वहां एक संत पहुंचे और एक पेड़ के नीचे बैठकर नाक बंद करके कुछ क्रिया करने लगे, दूर खड़ा ग्वाला सब देख रहा था, कुछ देर बाद संत…….
पूजा तो हर व्यक्ति करता है. लेकिन बहुत कम लोगों की ही पूजा सफल होती है. एक प्राचीन कथा के मुताबिक, एक ग्वाला जंगल में अपनी गाय चरा रहा था. वहां एक संत पहुंचे. संत एक पेड़ के नीचे बैठकर नाक बंद करके कुछ क्रिया करने लगे. ग्वाला यह सब देख रहा था. कुछ देर बाद संत ने क्रियाएं करना बंद कर दिया और वह वहां से जाने लगे. ग्वाला संत के पास पहुंचा और बोला कि आप क्या कर रहे थे. तो संत ने कहा- मैं भगवान शिव से बातें कर रहा था. ग्वाले ने पूछा कि भगवान से ऐसे बातें हो जाती हैं क्या. संत समझ गए कि ग्वाला बहुत बोला है.
संत ने कहा- हां, ऐसा करने से भगवान प्रसन्न हो जाते हैं. संत वहां से चले गए. ग्वाले ने सोचा कि अगर ऐसा करने से भगवान से बात होती है तो मैं भी बात जरूर करूंगा. उसने भी यह सोच कर क्रिया करना शुरू कर दिया. ग्वाले को क्रिया नहीं आती थी. उसने जोर से नाक दबा ली. अब उसे सांस लेने में परेशानी हो गई. कुछ देर में उसकी स्थिति मरने जैसी हो गई. लेकिन उसका पूरा ध्यान भगवान की तरफ था. उसे भगवान से बात करनी थी. तभी वहां भगवान शिव प्रकट हुए और उससे कहा कि वत्स अपनी आंखे खोलो. तुम्हारी तपस्या पूरी हो गई.
ग्वाले ने आंखें खोली तो भगवान शिव वहां खड़े थे. उसने भगवान शिव को कभी नहीं देखा था. इस वजह से उसने शिव जी को एक पेड़ से बांध दिया और वह संत खोजने के लिए दौड़ा. कुछ देर बाद संत ग्वाले को मिल गए. ग्वाले ने संत को पूरी बात बताई. संत हैरान रह गए और तुरंत उस पेड़ के पास पहुंचे. लेकिन भगवान शिव संत को दिखाई नहीं दिए. संत ने कहा- पेड़ पर तो कोई दिखाई नहीं दे रहा.
ग्वाला बोला कि महाराज ध्यान से देखिए. संत को भगवान नहीं दिखाई दे रहे थे. ग्वाले ने इसका कारण पूछा तो भगवान ने कहा कि मेरा दर्शन केवल वही लोग करते हैं जो सच्ची भक्ति करते हैं. संत को अपनी गलती का एहसास हो गया. उसने भगवान से क्षमा मांगी.
कहानी की सीख
जो व्यक्ति निस्वार्थ भाव से पूजा करता है, भक्ति करता है, उस पर भगवान की कृपा होती है.