एक बार एक दुखी व्यक्ति संत के पास आया और बोला महाराज में एक चोर हूं मैंने और भी कई अपराध किए हैं, मैं बहुत झूठ बोलता हूं, दूसरों को बहुत दुख भी देता हूं, मुझे बताइए कैसे में अपने जीवन को…….
एक प्राचीन कथा के मुताबिक, एक व्यक्ति संत के पास आया और बोला कि स्वामीजी मैं चोर हूं और दूसरे अपराध करता हूं। हर बात पर झूठ बोलता हूं, दूसरों को दुख देता हूं और कोई ऐसा उपाय बताओ जिससे मेरा जीवन सुधर जाए।
स्वामी जी ने उससे कहा कि तुम चोरी करना बंद कर दो। सत्य बोलने का व्रत लो। तुम्हारा कल्याण हो जाएगा। इसके बाद वह व्यक्ति संत को प्रणाम कर वहां से चला गया।
अब व्यक्ति कुछ दिन बाद फिर वह व्यक्ति संत के पास आया और उनसे कहा कि स्वामी जी मैंने चोरी करने और झूठ बोलने की आदत को छोड़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन मैं नहीं छोड़ पा रहा हूं। बताइए मैं क्या करूं?
संत ने कहा कि तुम जो दिन-रात में काम करते हो, उसका वर्णन 4 लोगों के सामने कर दिया करो। दिन-रात में जो भी करो, उसे 4 लोगों को बताओ।
अगले दिन उसने चोरी की। लेकिन वह लोगों को बता नहीं पाया, क्योंकि उसे डर था कि यह बात जानकर लोग उससे घृणा करने लगेंगे। उसी दिन चोर ने चोरी ना करने का संकल्प लिया और कुछ दिन बाद स्वामी जी के पास आया और बोला स्वामी जी आपके द्वारा दिए गए सुझाव के बाद मैं अपराधमुक्त हो गया। अब मैं मेहनत की कमाई कर अपना गुजारा करता हूं।
कथा की सीख
अगर कोई व्यक्ति चाहे तो वह बुरी आदत को छोड़ सकता है। बस उसे दृढ़ संकल्प की जरूरत है।