एक बार एक राजा अपने मंत्रियों और सैनिकों के साथ राज्य में भ्रमण के लिए निकला, इस दौरान वह फलों के बाग के पास पहुंचा, तभी एक पत्थर राजा के सिर पर आकर लगा और सिर से खून निकलने लगा……
एक राज्य में राजा राज करता था। एक दिन राजा अपने मंत्रियों और सैनिकों के साथ राज्य का भ्रमण करने निकले। सैर करते हुए राजा फलों के बाग में पहुंचे, जहां अचानक से एक पत्थर राजा के सिर पर आकर लगा और उनके सिर से खून निकलने लगा।
सैनिक तुरंत ही राजा को पत्थर मारने वाले व्यक्ति को ढूंढने गए और कुछ देर बाद एक बुढ़िया को पकड़कर राजा के सामने ले आए और कहा कि महाराज इसी ने आपको पत्थर से मारा है।
बुढ़िया अपनी गलती जानती थी और वह राजा के सामने काफी डरी हुई थी। उसने राजा से क्षमा मांगी और बोली- मैं अपने पोते के लिए पत्थर मारकर फल तोड़ रही थी। लेकिन गलती से यह पत्थर आपके सिर पर लग गया।
राजा बहुत ही बुद्धिमान और न्याय प्रेमी था। उसने महिला की यह बात सुनकर उसे हजार स्वर्ण मुद्राएं दे दी। यह देखकर सभी लोग हैरान हो गए और राजा से बोले कि महाराज, आप यह क्या कर रहे हैं। इस बुढ़िया को तो दंड मिलना चाहिए। अगर आप ऐसा करेगे तो दूसरे लोग प्रेरित होंगे और आपको सब लोग पत्थर मारेंगे।
राजा ने अपने मंत्रियों और सैनिकों से कहा कि जब पत्थर मारने पर एक पेड़ फल दे सकता है तो मैं तो इंसान हूं और राजा भी हूं। मैंने अपनी सामर्थ्य के हिसाब से महिला को प्रतिफल दिया है। इस घटना के बाद राजा द्वारा किए गए अच्छे कार्य की प्रशंसा होने लगी और लोगों के मन में राजा का मान-सम्मान और भी ज्यादा बढ़ गया।
कथा की सीख
कई बार हम दूसरों से की गई गलतियों के लिए उनको दंड देते हैं। लेकिन हमें उन्हें क्षमा कर देना चाहिए, क्योंकि जीवन में सुख और शांति रहती है। अगर आप दूसरे की गलतियों को ध्यान रखेंगे और उन्हें दंड देंगे तो इससे जीवन में हमेशा परेशानी आएगी।