एक बार एक व्यक्ति दुखी प्रसिद्ध संत के पास पहुंचा, व्यक्ति बोला मेरे दोस्त मुझसे झूठ बोलते हैं, मेरी पत्नी और बच्चे भी स्वार्थी हैं, ये दुनिया अब नरक जैसी लगती है…….
एक व्यक्ति अपने जीवन में काफी परेशान रहता था। वह एक बार अपने गुरु के पास गया और उनसे कहा कि महाराज मेरे संग कोई ऐसा इंसान नहीं है जो अच्छा हो। मेरे जितने भी दोस्त हैं सभी झूठ बोलते हैं। वही मेरी पत्नी और बच्चे भी बहुत स्वार्थी हैं। अब मुझे यह दुनिया नर्क की तरह लगने लगी है। यह बातें सुनकर संत ने दुखी व्यक्ति से कहा कि मैं तुम्हें एक प्रेरक प्रसंग सुनाता हूं।
गुरु ने कहा कि गांव में एक बड़ा कमरा था। उस कमरे में कई शीशे से लगे हुए थे। उस कमरे में एक बच्ची रोज खेलने के लिए जाती थी। उस बच्ची को ये लगता था कि कमरे में कई सारे बच्चे खेल रहे हैं। इसी कारण उस बच्ची को वह कमरा ज्यादा अच्छा लगता था।
एक बार एक क्रोधी इंसान उस कमरे में गया और उसे लगने लगा कि कमरे में जितने भी लोग हैं सभी गुस्से वाले हैं। सब उसे घूर रहे हैं। व्यक्ति को डर लगने लगा कि यह मुझे मारने वाले हैं। जब व्यक्ति ने अपने हाथ उठाए तो शीशे में बने सभी प्रतिबिंबों ने हाथ उठाएं। उसने विचार किया कि यह दुनिया की सबसे खराब जगह है।
संत ने बताया कि यह दुनिया भी उस पूरी कमरा की तरह है। यह प्रकृति का नियम है जो हम अंदर से बाहर निकालते हैं, वह हमें लौटा देती है। अगर हम खुद बुरे हैं तो हमें दूसरे लोग भी बुरे नज़र आएंगे। वहीं अगर हम अच्छे हैं तो हमें पूरी दुनिया अच्छी लगेगी।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि बुरे और अच्छे का चयन करना हमारे विचारों पर निर्भर करता है। यदि हम दूसरों के साथ गलत करते हैं तो हमारे साथ खुद भी गलत होता है। हम जैसा करते हैं हमको वैसा फल मिलता है।