एक बार एक संत अपने शिष्य के साथ भिक्षा मांगते हुए एक घर के बाहर पहुंचे, जब उन्होंने भिक्षा मांगने के लिए उस घर में आवाज लगाई, तो एक छोटी बच्ची बाहर आई और बोली बाबा हम तो बहुत गरीब हैं, हमारे पास…….

एक प्राचीन कथा के मुताबिक, एक संत अपने शिष्यों के साथ भिक्षा मांगते हुए एक घर पहुंचे. उन्होंने भिक्षा देने के लिए आवाज लगाई तो अंदर से एक छोटी बच्ची बाहर निकल कर आई और बोली कि बाबा, हम बहुत गरीब हैं. हमारे पास आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है. आप आगे जाएं. संत ने तब उस बेटी से कहा कि बेटी मना मत कर, कुछ नहीं है तो अपने आंगन से थोड़ी सी मिट्टी लाकर दे दे.

वह छोटी बच्ची तुरंत ही आंगन से एक मुट्ठी मिट्टी उठाकर ले आई और संत के पात्र में डाल दी. संत ने उस बच्ची को आशीर्वाद दिया और वह आगे चले गए. कुछ देर बाद संत के शिष्य ने पूछा कि गुरु जी मिट्टी भी कोई लेने की चीज है. आपने उस बच्ची से भिक्षा में मिट्टी क्यों ली.

संत ने अपने शिष्य को समझाया कि वह बच्ची बहुत छोटी है और अगर वह अभी से ही मना करना सीख जाएगी तो वह बड़े होकर किसी को कुछ भी दान नहीं देगी. इसीलिए मैंने उससे दान में थोड़ी सी मिट्टी मांगी. इससे उसके मन में दान की भावना जागृत होगी, जिससे वह कल बड़े होकर सामर्थ्यवान बनेगी तो लोगों को दान करेगी.

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें बच्चों को बचपन से ही अच्छी बातें सिखानी चाहिए. अगर हम बच्चों को बचपन से ही अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करेंगे, तभी वह बड़े होकर अच्छे इंसान बनेंगे. हमें बचपन से ही बच्चों को दान करने की आदत डालनी चाहिए, ताकि वे दूसरे लोगों की हमेशा मदद करें.

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