एक बार एक संत और उनका शिष्य रात में एक गरीब किसान की झोपड़ी में ठहरे हुए थे, रात को गुरु ने शिष्य से कहा हम इस किसान की रोजी-रोटी……

एक बार एक संत और उसका शिष्य गांव-गांव जाकर भृमण कर रहे थे। जब वह एक गांव में पहुंचे तो संत ने बड़े खाली खेत में बीचो-बीच एक झोपड़ी देखी। संत ने शिष्य से कहा कि आज रात इसी झोपड़ी में रुकते हैं। लेकिन जब वह झोपड़ी में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उस झोपड़ी में किसान का एक परिवार रहता है। संत ने उस किसान से पूछा कि आपका खेत तो खाली है। आप खेती नहीं करते हैं तो अपने परिवार का गुजारा कैसे करते हैं।

किसान ने बताया कि मेरे पास एक ऐसी भैंस है जो काफी दूध देती है। उसके दूध को बेचकर मेरे परिवार का गुजारा चलता है। यही भैंस हमारी रोजी-रोटी का साधन है।

रात के वक्त संत ने उठकर अपने शिष्य से कहा कि जाओ इस भैंस को कहीं थोड़ी दूर छोड़ आओ। शिष्य ने कहा कि गुरुवर यह तो अधर्म है। यदि यह भैंस चोरी हो जाती है तो इस किसान का क्या होगा। संत ने बताया कि मैं तुमसे जो कह रहा हूं, वह करो। शिष्य ने किसान की भैंस चुरा ली और कहीं थोड़ी दूर छोड़ दी। रात के वक्त ही संत और वह शिष्य वहां से चले गए।

अब 8-10 साल बीत गए और शिष्य धनवान हो गया। लेकिन शिष्य को आज भी अपनी उस बात का पछतावा हो रहा था। उसने सोचा कि अब मैं धनवान हो गया तो उस किसान की मदद कर देता हूं। वह किसान की मदद करने के लिए गांव में पहुंच गया।

जब वह गांव में पहुंचा तो वहां का नजारा देखकर हैरान रह गया क्योंकि वहां पर अब झोपड़ी की जगह बड़ा घर बन चुका था। बहुत ही बड़ा गार्डन था। घर में काम करने वाले नौकर भी थे। अंदर जाकर वह किसान से मिला। किसान ने शिष्य को पहचान लिया।

जब शिष्य ने किसान से पूछा कि यह सब कैसे हुआ तो किसान ने बताया कि उस रात ही मेरी भैंस चोरी हो गई थी। मैंने कुछ लकड़िया बेंचकर अपने परिवार का गुजारा किया। फिर मैंने खेती करना भी शुरू कर दिया और मैंने कड़ी मेहनत की। इसका ही नतीजा है। भगवान की कृपा से आज मेरे पास सब कुछ है। यदि उस रात भैंस चोरी नहीं होती तो मैं हमेशा गरीबी में ही अपना समय बिताता।

अब शिष्य को भी अपने गुरु की बात समझ आ गई कि क्यों मेरे गुरु ने भैंस चुराने के लिए कहा था।

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि कड़ी मेहनत करने पर आदमी को सफलता जरूर मिलती है।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *