एक बार काशी में अकाल पड़ने के कारण लोग भूख से व्याकुल थे, तब शिव जी ने काशी के लोगों के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी, मां ने भिक्षा के साथ-साथ……….
अन्नपूर्णा का मतलब होता है अन्न यानी धान्य की देवी। मां अन्नपूर्णा आदिशक्ति पार्वती का ही रूप है। इन्हें अन्नदा और शाकुम्भरी भी कहते हैं। ग्रंथों में इस कहा गया है देवी इसी रूप से सृष्टि का पालन कर रही हैं।
हिंदू धर्म में मां अन्नपूर्णा को संसार का भरण पोषण करने वाली मां कहते हैं। इसलिए लगभग सभी घरों की रसोई में देवी अन्नपूर्णा की तस्वीर जरूर होती है। जानिए मां अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने के लिए पूजा विधि…
क्यों होती है इनकी पूजा
अगहन महीने की पूर्णिमा पर देवी पार्वती ने अन्नपूर्णा रूप लिया था। ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन घर के अन्नकोष में देवी अन्नपूर्णा की पूजा करनी चाहिए। साथ ही रसोईघर में चूल्हे और गैस स्टोव की पूजा भी करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में कभी अनाज और खाने की कमी नहीं होती। साथ ही घर में बने भोजन को खाने से बीमारियां भी दूर रहती हैं।
देवी अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर परिवार में कभी भी अन्न और धन-धान्य की कमी नहीं रहती। वैसे तो अन्न का अनादर कभी नहीं करना चाहिए, लेकिन इस दिन खासतौर से सावधानी रखनी चाहिए। घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती और देवी की कृपा हमेशा बनी रहती है।
इस दिन अन्नदान का महत्व मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा पर देवी अन्नपूर्णा की विशेष पूजा करने की परंपरा है। इस दिन पूजा के बाद कई तरह के भोग बनाकर देवी अन्नपूर्णा को नैवेद्य लगाया जाता है। इसके बाद अन्नदान करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को पेटभर भोजन करवाना चाहिए। वैसे तो मार्गशीर्ष महीने के हर दिन ही अन्नदान करने की परंपरा है। लेकिन किसी कारण से मार्गशीर्ष में पूरे महीने अन्नदान न कर पाएं हो तो इस पूर्णिमा पर ही अन्नदान करने भर से ही पूरे महीने का फल मिलता है।
प्रचलित कथा कथा के मुताबिक एक बार काशी में अकाल पड़ा था और लोग भूख से व्याकुल थे। तब भगवान शिव ने लोगों का पेट भरने के लिए मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। मां ने भिक्षा के साथ-साथ भगवान शिव को यह वचन भी दिया कि काशी में कभी भी कोई भूखा नहीं सोएगा। यह भी कहा जाता है कि काशी में आने वाले हर किसी को मां के ही आशीर्वाद से अन्न प्राप्त होता है।
अन्नपूर्णा जयंती पूजन विधि अन्नपूर्णा जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाकर नए कपड़े पहनें। घर और रसोई की अच्छे से सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। चूल्हे पर हल्दी, कुमकुम, चावल और फूल चढ़ाएं। धूप दीप जलाएं। रसोई घर में देवी अन्नपूर्णा का चित्र जरूर लगाएं और पूजा करें।