एक बार गिद्धों का एक झुंड खाने की तलाश करते हुए एक टापू पर पहुंच गया, उस टापू पर पहुंचने के बाद उन्हें खाने के लिए बहुत कुछ मिला, लेकिन……
किसी जंगल में गिद्धों का एक समूह रहा करता था और एक दिन वह खाने की तलाश में भटक रहे थे। काफी कोशिशों के बावजूद वे दूर से उड़ते हुए टापू पर गए और उन्हें लगा कि उन्हें यह टापू बिल्कुल स्वर्ग के जैसा लगा। टापू पर हरियाली थी, खाने के लिए मेढ़क, मछलियां और अन्य समुद्री जीव भी थे और वहां कोई ऐसा जानवर भी नहीं था, जो गिद्धों का शिकार कर सके।
एक गिद्ध ने कहा कि हमें यहां बैठे-बैठे ही खाना मिल जाएगा। अब हम यहां से कहीं नहीं जाएंगे। सभी गिद्ध खुश थे। लेकिन बूढ़ा गिद्ध इस बात से बिल्कुल भी खुश नहीं हुआ। बूढ़े गिद्ध ने सभी गिद्धों से कहा कि भाइयों हम अपनी ऊंची उड़ान और अचूक वार के लिए पहचाने जाते हैं। यह हमारी शक्ति है।
जब से हम इस टापू पर आए हैं, हमारे अंदर आलस आ गया है। ना तो हम उड़ पाते हैं और हम शिकार करना भी भूल गए हैं। इसीलिए हमें यहां से जाना चाहिए। बूढ़ा गिद्ध बोला कि मैं यहां से जाना चाहता हूं। अगर आपमें से कोई मेरे साथ आना चाहता है तो मेरे साथ चले।
सभी गिद्धों ने उस बूढ़े गिद्ध का मजाक उड़ाया और उसे मूर्ख कहा। इसके बाद बूढ़ा गिद्ध दूसरे जंगल में चला गया। कुछ महीनों बाद बूढ़े गिद्ध ने सोचा कि अपने साथियों से मिलकर आता हूं। इसके लिए वो टापू पर पहुंचा, जहां उसने देखा कि उसके झुंड के कई गिद्ध मर गए हैं, जबकि कुछ बूढ़ा गिद्ध घायल पड़े थे।
जब उनसे पूछा कि यह सब कैसे हुआ तो उसे पता चला कि यहां एक जहाज आया था, जो यहां चीतों का दल छोड़ गया। शुरुआत में चीतों ने हमारा शिकार नहीं किया। लेकिन जब उनको जीव-जंतु मिलना बंद हो गए तो उन्होंने हमारे ऊपर आक्रमण किया और हम चीतों का शिकार बन गए।
यह बात सुनकर बूढ़ा गिद्ध काफी दुखी हुआ और उसे अफसोस था कि वह अपने साथियों के लिए कुछ नहीं कर पाया। इसके बाद वह फिर से उड़कर जंगल मे वापस लौट आया।
कथा की सीख
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हम अपनी शक्तियों का उपयोग नहीं करते तो हमारी शक्तियां नष्ट होने लगती हैं। इसीलिए हमें आलस छोड़कर मेहनत करती रहनी चाहिए, तभी हमारी कुशलता बढ़ती है।