एक बार बुद्ध किसी गांव में रुके हुए थे, वहां उनसे मिलने एक व्यक्ति आया, उसने बुद्ध से पूछा हमारे इस जीवन का मूल्य क्या है, बुद्ध ने उस व्यक्ति को एक पत्थर दिया और कहा तुम मुझे इस पत्थर का मूल्य पता करके बताओ, लेकिन……
एक बार गौतम बुद्ध किसी गांव में ठहरे हुए थे तो एक व्यक्ति उनसे मिलने आया। उस व्यक्ति ने पूछा कि जीवन का मूल्य क्या है। आप इसका उत्तर देकर मेरी जिज्ञासा शांत करें। गौतम बुद्ध ने उस आदमी को एक चमकता हुआ पत्थर दिया और कहा कि तुम इस पत्थर का मूल्य ज्ञात करो। लेकिन इस पत्थर को बेचना मत।
वह आदमी संतरे वाले के पास गया और पत्थर की कीमत पूछी। उस संतरे वाले ने कहा यह पत्थर मेरे किसी काम का नहीं है। लेकिन मैं तुम्हें इस पत्थर के बदले 12 संतरे दे दूंगा। वह आदमी चमकते हुए पत्थर को लेकर सब्जी वाले के पास पहुंचा तो उसने कहा कि मैं तुम्हें इसके बदले 1 बोरी आलू दे दूंगा।
बाद में वह व्यक्ति एक सुनार के पास पहुंच गया और पत्थर की कीमत पूछी। सुनार ने कहा कि मैं तुम्हें इस पत्थर के बदले 1000 स्वर्ण मुद्राएं देने के लिए तैयार हूं। लेकिन उस आदमी ने कहा कि मेरे गुरु जी ने इस पत्थर को बेचने के लिए मना किया है। सुनार ने कहा यदि तुम को कीमत कम लग रही है तो मैं तुम्हें चार हजार स्वर्ण मुद्राएं दे दूंगा। लेकिन फिर भी व्यक्ति ने पत्थ नहीं दिया। सुनार ने कहा तुम इसकी जितनी कीमत मांगोगे मैं दे दूंगा। लेकिन उस आदमी ने पत्थर नहीं दिया और वह हीरे बेचने वाले जौहरी के पास पहुंच गया। उस जौहरी ने कहा कि यह तो अनमोल रत्न है जिसकी कोई कीमत नहीं है।
अब वह आदमी अंत में अपने गुरु के पास आया और उनको पूरी बात बता दी। उस व्यक्ति ने गौतम बुद्ध से एक बार फिर जीवन का मूल्य पूछा तो गौतम बुद्ध ने कहा कि हर किसी ने तुम्हें इस पत्थर की कीमत अलग-अलग बताई। ऐसा ही ठीक मनुष्य के साथ होता है। भले ही आदमी हीरा हो। लेकिन सामने वाला अपनी सामर्थ्य और अपनी जानकारी के अनुसार ही उसकी कीमत लगाएगा।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि हर चीज अमूल्य होती है। लेकिन हमारे पास यदि प्रतिभा होती है तो हम उसकी कीमत खुद लगाते हैं। प्रतिभा की कीमत कोई दूसरा नहीं लगा सकता। इसीलिए हर किसी को कम नहीं समझना चाहिए।