एक बार महावीर स्वामी जंगल में ध्यान कर रहे थे, तभी उस जगह कुछ चरवाहे आए और उन्हें परेशान करने लगे, गांव के लोगों को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने महावीर स्वामी से तुरंत माफी मांगी…….

भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। उन्होंने पूरी दुनिया में अहिंसा परमो धर्म का संदेश फैलाया। हर साल भगवान महावीर का जन्म दिवस जैन अनुयायी महावीर जयंती के रूप में मनाते हैं। इस बार महावीर जयंती 17 अप्रैल, बुधवार को है। इस मौके पर हम आपको भगवान महावीर के जीवन से जुड़े एक प्रेरक प्रसंग के बारे में बताते हैं।

भगवान महावीर एक बार जंगल में जब तप कर रहे थे तो उस समय जंगल से चरवाहे गाय, भेड़, बकरियां चराने आए। चरवाहे को तपस्या का महत्व नहीं पता था। जब भी भगवान महावीर तपस्या करते तो वो चरवाहे उनको देखकर मजाक उड़ाते हैं और उनका ध्यान भंग करने की कोशिश करते। लेकिन कभी भी भगवान महावीर उनकी वजह से विचलित नहीं होते और अपनी तपस्या में लीन रहते।

कुछ ही समय में यह बात आसपास के गांव में फैल गई। तब कुछ ग्रामीण जंगल में भगवान महावीर के पास गए और उन्होंने आंखें खोली। ग्रामीणों ने उनसे कहा- भगवान चरवाहे नासमझ है, आपको परेशान कर रहे हैं। हम उनकी ओर से आपसे क्षमा चाहते हैं। हम सभी आपके लिए एक कमरे का निर्माण कर देते हैं, ताकि आप बिना किसी विघ्न के तप कर सकें।

भगवान महावीर ने उनकी बातें शांति पूर्वक सुनी और फिर बोले कि ये चरवाहे भी मेरे अपने ही हैं। यदि बच्चे प्यार से माता-पिता का मुंह अपने छोटे-छोटे हाथों से नोचते हैं तो क्या माता-पिता उसे अपनी गोद में लेने से मना कर देते हैं, नहीं ना। आपको मेरे लिए कमरा बनबाने की आवश्यकता नहीं है। इसकी जगह आप इस धन का उपयोग निराश्रितों के लिए करें। ग्रामीण और अज्ञानी चरवाहे महावीर के विशाल हृदय को देखकर उनके सामने नतमस्तक हो गए।

लाइफ मैनेजमेंट

कुछ लोग अनजाने में पाप कर देते हैं। ऐसे लोगों अज्ञानी होते हैं और उन्हें अच्छे-बुरे का भी पता नहीं होता। ऐसे लोगों को माफ कर देना चाहिए और उन्हें सत्य का मार्ग दिखाना चाहिए।

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