एक महात्मा अपने शिष्य के साथ जंगल के रास्ते कहीं जा रहे थे, रास्ते में तालाब के पास एक मछुआरा मछली पकड़ रहा था, शिष्य ने उस मछुआरे को अहिंसा परमो धर्म का उपदेश दिया, लेकिन……
एक बार एक महात्मा अपने शिष्य के साथ जंगल से गुजर रहे थे तभी उन्हें तालाब के पास एक मछुआरा मछली पकड़ते हुए दिखाई दे गया। यह देखकर शिष्य ने उस मछुआरे को अहिंसा परमो धर्म का उपदेश दिया। लेकिन मछुआरे ने उसकी बात नहीं मानी। इस बात को लेकर शिष्य और मछुआरे में विवाद शुरू हो गया।
महात्मा ने यह देखकर अपने शिष्य को समझाया और उसे अपने साथ लेकर चले गए। महात्मा ने शिष्य से कहा कि हमारा कर्तव्य लोगों को समझाना है, ना कि जबरदस्ती या विवाद करना। महात्मा से शिष्य ने पूछा कि अब उस मछुआरे को कैसे सजा मिलेगी। महात्मा ने बताया कि लोगों को बुरे कर्म की सजा किसी ना किसी रूप में मिल जाती है। हमें इसके लिए चिंतित नहीं होना चाहिए। हमें बस लोगों को सच्चे मार्ग पर लाने का प्रयास करना है, उनसे विवाद नहीं करना है। शिष्य को अपनी गलती का एहसास हो गया।
घटना के 4 साल बाद महात्मा अपने शिष्य के साथ उसी तालाब के पास से गुजर रहे थे। उस वक्त शिष्य को यह घटना याद नहीं थी। वहां से गुजरते वक्त उन्होंने देखा कि एक अधमरे सांप को चीटियां खा रही है। शिष्य को यह देख कर सांप पर दया आ गई। शिष्य ने सांप को बचाने के लिए कदम बढ़ाया तो महात्मा ने शिष्य को रोक लिया और कहा कि इसे अपने बुरे कर्मों का फल भोगने दो। अगर तुम अभी इसे बचा लोगे तो इसे अगले जन्म में बुरे कर्मों का फल भोगना पड़ेगा।
शिष्य ने महात्मा पूछा कि इस सांप ने कौन-सा बुरा कर्म किया है, जो इसे यह सजा मिल रही है। गुरु ने शिष्य को उत्तर दिया कि यह वही मछुआरा है जो मछलियों को पकड़ता था। इस बात को लेकर तुम में और मछुआरे में विवाद हुआ था। सांप पिछले जन्म में मछुआरा था और चीटियां मछलियां। यह मछुआरा अपने स्वार्थ के लिए मछलियों को मारता था और आज वही मछलियां उस मछुआरे से अपना बदला ले रही है। शिष्य को समझ आ गया कि हर किसी को बुरे कर्मों की सजा मिल जाती है।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि कभी भी बुरे कर्म नहीं करनी चाहिए। बुरे कर्मों का फल किसी ना किसी रूप में मिल जाता है।