एक महिला रोजाना भगवान की पूजा करने के लिए मंदिर जाती थी, एक दिन उसने पंडित जी से कहा अब मैं मंदिर में नहीं आऊंगी, पंडित जी ने उस महिला से पूछा इसकी क्या वजह है, तो महिला ने कहा कि इस मंदिर में……
एक महिला हर रोज भगवान की पूजा करने के लिए मंदिर जाती थी। 1 दिन उस महिला ने पंडित जी से कहा कि अब मैं इस मंदिर में नहीं आऊंगी। पंडित ने इसकी वजह पूछी तो महिला ने कहा कि इस मंदिर में ज्यादातर लोग सिर्फ दिखावा करने के लिए ही आते हैं। कुछ लोग तो इस मंदिर में बैठकर व्यर्थ की बातें करते हैं। कोई भगवान की पूजा में ध्यान नहीं देता। इसी कारण मैं मंदिर नहीं आना चाहती।
पंडित ने महिला से कहा जैसा आपको ठीक लगे। लेकिन अपना अंतिम फैसला लेने से पहले आप मेरा एक छोटा सा काम कर दीजिए। महिला ने पूछा बताइए। उस पंडित ने महिला को एक गिलास में दूध भर कर दे दिया और कहा कि तुम इस ग्लास को लेकर मंदिर की दो परिक्रमा करो। लेकिन परिक्रमा करते वक्त दूध की एक भी बूंद इस गिलास से नहीं गिरनी चाहिए।
महिला ने कहा यह तो बहुत छोटा सा काम है। मैं अभी इसे कर देती हूं। उस महिला ने मंदिर की परिक्रमा लगाना शुरू कर दिया। वो बहुत ही सावधानी से चल रही थी। परिक्रमा पूरी करने के बाद वह महिला पंडित जी के पास चली गई।
पंडित जी ने उससे पूछा कि क्या तुम्हें मंदिर में कोई बात करते हुए दिखा या फिर कोई ऐसा व्यक्ति देखा जो दिखावा कर रहा हो। महिला ने बताया मेरा पूरा ध्यान पूजा करने में था। मैंने कहीं और ध्यान नहीं दिया। पंडित ने बताया कि इसी तरह हमें पूजा करनी चाहिए। हमें दूसरों से कोई भी मतलब नहीं रखना चाहिए।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि पूजा के वक्त सिर्फ भगवान का ही ध्यान करना चाहिए। व्यर्थ की चीजों पर ध्यान देना उचित नहीं है।