एक राजा अपने सेवक से बोला कि तुम ऐसे ही मन लगाकर काम करते रहो, एक दिन मैं तुम्हें इनाम के तौर पर एक हजार स्वर्ण मुद्राएं दूंगा, सेवक राजा की यह बात सुनने के बाद…..
एक सेवक राजा की बहुत ही सेवा करता था। इसलिए राजा उससे बहुत प्रसन्न रहता था। राजा ने कहा कि तुम ऐसे ही मन लगाकर सेवा करो। मैं तुम्हें 1 दिन हजार स्वर्ण मुद्राएं दूंगा। सेवक राजा की बात सुनकर प्रसन्न हो गया और उसने घर जाकर यह बात अपनी पत्नी को बता दी । पत्नी ने कहा कि तुम कोई भी गलती मत करना। वरना हमारा बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा।
अब सेवक दिन रात राजा की सेवा करता। उसने कभी भी छुट्टी नहीं ली। राजा यह देखकर बहुत खुश हुआ। सेवक के मन में हजार स्वर्ण मुद्राओं का लालच था। इसी कारण उसने और कोई काम करने का विचार नहीं किया।
जब वह बूढ़ा हो गया तो उससे अचानक एक दिन गलती हो गई और राजा को क्रोध आ गया। राजा ने क्रोध में आकर सेवक को नौकरी से निकाल दिया। सेवक ने राजा से प्रार्थना की। लेकिन राजा ने एक नहीं सुनी।
सेवक को काफी दुख हो रहा था कि उसने हजार स्वर्ण मुद्राओं के लालच में कोई और काम नहीं सीखा। अब मैं इस उम्र में कोई काम नहीं सीख सकता।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि लालच के चक्कर में अपना समय नहीं खराब करना चाहिए। हर नया कार्य सीखने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। यदि हम समय रहते ही सब कुछ सीख लेंगे तो जीवन के अंत तक काफी धन कमा सकते हैं।