एक राजा को अपनी सुंदरता पर कुछ ज्यादा ही अभिमान था, अपनी तारीफ सुनना उसे काफी पसंद था, उसके महामंत्री……

एक राजा दिखने में बहुत ही सुंदर था। उसको अपने रंग-रूप का बहुत ही घमंड था। वह हर किसी से अपनी सुंदरता की तारीफ सुनना पसंद करता था। राजा का महामंत्री बहुत बुद्धिमान था। लेकिन वह कुरूप था।

राजा के महामंत्री के चेहरे पर झुर्रियां थी और उसका रंग सांवला था। 1 दिन राजा ने अपने महामंत्री से कहा कि तुम बुद्धिमान तो बहुत हो। लेकिन सुंदर होते तो बहुत अच्छा होता। महामंत्री ने अपने महाराज से कहा कि रूप-रंग तो उम्र के साथ नष्ट हो जाते हैं। लेकिन इंसान के अच्छे कर्म, गुणऔर बुद्धि हमेशा साथ रहते है।

राजा ने अपने महामंत्री से पूछा कि तुम इस बात को कैसे स्पष्ट कर सकते हो। महामंत्री ने राजा के सामने उदाहरण पेश किया। मंत्री ने राजा को पानी से भरे हुए दो गिलास दिए। महामंत्री ने राजा से कहा कि एक गिलास में काली मिट्टी की मटकी का पानी है। जबकि दूसरे गिलास में सोने की मटकी का पानी है।

अब आप बताइए इन दोनों गिलास में से किस गिलास का पानी पीने में स्वादिष्ट लगेगा। राजा ने कहा कि काली मिट्टी की मटकी से भरे गिलास का पानी शीतल और स्वादिष्ट होता है। इस पानी को पीने से तृप्ति भी मिलती है।

राजा की रानी ने मुस्कुरा कर उत्तर दिया कि महाराज मंत्री जी ने आपके सवाल का उत्तर दे दिया है। अब आप ही बताइए कि खूबसूरत घड़ा किस काम का हुआ जिसका पानी पीने में अच्छा ना लगे। जबकि काली मिट्टी से बना बनी मटकी भले ही कुरूप है। लेकिन उसने छुपे गुण बहुत अच्छे हैं। काली मिट्टी की मटकी का पानी पीकर मन तृप्त हो जाता है।

महाराज आप ही बताइए अब रूप-रंग बड़ा है या फिर गुण और बुद्धि। राजा को मंत्री की बात समझ आ गई और उसने अपनी सुंदरता पर घमंड करना छोड़ दिया।

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि समय के साथ-साथ हमारी सुंदरता नष्ट हो जाती है। लेकिन हमारे कर्म, गुण और बुद्धि हमेशा साथ रहती है। इसलिए कभी भी सुंदरता पर घमंड नहीं करना चाहिए।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *