एक व्यक्ति के जीवन से परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी, वह हर समय बस दुखी रहता था, एक दिन गांव में एक प्रसिद्ध संत आए, वह व्यक्ति संत से मिलने……
प्राचीन काल में एक व्यक्ति बहुत दुखी था. उसके जीवन की परेशानियां खत्म ही नहीं हो रही थी, जिससे वह निराश रहने लगा. एक दिन एक संत उसके गांव में आए जिनसे वह मिलने पहुंचे और संत से कहा- महाराज मैं बहुत जीवन में हमेशा खुश कैसे रह सकते हैं. कृपया आप मुझे बताएं कि मुझे खुशियां कैसे मिल सकती है.
संत ने उस व्यक्ति से कहा- ठीक है मैं तुम्हें यह राज बताऊंगा. लेकिन पहले तुम मेरे साथ जंगल चलो. संत ने एक पत्थर उठाया और उस व्यक्ति को दे दिया. संत ने कहा कि यह पत्थर लेकर मेरे साथ चलो. व्यक्ति उस पत्थर को उठाकर संत के साथ चलने लगा. कुछ देर में पत्थर के वजन की वजह से व्यक्ति के हाथ में दर्द होने लगा. लेकिन फिर भी वह कुछ नहीं बोला और चलता रहा.
कुछ देर चलने के बाद व्यक्ति ने संत से कहा- महाराज, मैं यह पत्थर उठाकर आगे नहीं चल सकता. मेरे हाथ में दर्द होने लगा है. संत ने कहा- ठीक है, इस पत्थर को यहीं रख दो. पत्थर रखते ही व्यक्ति को राहत मिली. संत ने उससे कहा- यही खुशियों का राज है. जिस तरह तुम पत्थर उठाकर ज्यादा दूर तक नहीं चल सकते. उसी तरह तुम अपने दुखों का बोझ उठाकर खुश नहीं रह सकते. व्यक्ति संत की बात समझ गया और उनको प्रणाम कर उसने दुखों को छोड़ कर आगे बढ़ने का संकल्प लिया.
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जब तक हम दुखों का बोझ लेकर चलते रहेंगे, हम खुश नहीं रह पाएंगे. इसीलिए दुखों को भूलकर आगे बढ़ जाना चाहिए.