एक व्यक्ति संत से बोला कि आप मुझे अपना शिष्य बना लीजिए, मैं अपने जीवन से बहुत परेशान हो चुका हूं, संत ने उस व्यक्ति से कहा ठीक है……

एक प्राचीन कथा के मुताबिक, एक व्यक्ति के जीवन में कई परेशानियां थी। उसके पिता बचपन में ही मर गए। उसके ऊपर अपनी माता और भाई-बहनों के पालन पोषण की जिम्मेदारी आ गई। जब बड़ा हुआ तो उसका विवाह हो गया। लेकिन फिर भी उसके जीवन में परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। एक दिन वह व्यक्ति अपने क्षेत्र की एक प्रसिद्ध संत के पास गया और संत से कहा कि आप मुझे अपना शिष्य बना लें। मैं अपने जीवन से तंग आ गया हूं।

संत ने कहा- ठीक है, तुम आज से मेरे शिष्य हो। अब तुम मुझे अपनी परेशानी बताओ। उस व्यक्ति ने गुरुजी से कहा कि मेरी एक समस्या खत्म नहीं होती, उससे पहले दूसरी समस्या जाती है। मैं बहुत दुखी रहता हूं और मुझे किसी भी काम में कामयाबी नहीं मिलती। गुरुजी ने शिष्य कहा- ठीक है, मैं तुम्हें तुम्हारी समस्या का हल बताता हूं। तुम मेरे साथ चलो।

गुरु नए शिष्य को लेकर नदी किनारे गए और किनारे पर जाकर खड़े हो गए और उससे कहा कि हमें नदी पार करनी है। शिष्य अपने गुरु के साथ वहीं खड़ा रहा। लेकिन वो दोनों काफी देर तक वहां खड़े रहे। उन्होंने नदी पार नहीं की। फिर उसने कहा कि गुरु जी, हमें नदी पार करनी है तो हम यहां क्यों खड़े हैं?

गुरु ने उससे कहा कि हम इस नदी के सूखने का इंतजार कर रहे हैं। नदी सूख जाएगी तो हम इसे आसानी से पार कर लेंगे। शिष्य ने आश्चर्य से कहा- गुरु जी आप कैसी बात कर रहे हैं। यह नदी का पानी है कैसे और कब सूखेगा। हमें नदी को इसी समय पार करना चाहिए। संत ने कहा कि मैं भी तो यही बात समझाना चाहता हूं कि जीवन में समस्याएं आती रहेंगी। लेकिन हमें रुकना नहीं चाहिए। हमें आगे बढ़ता रहना चाहिए।

अगर आप आगे बढ़ते जाएंगे तो आपको हल भी मिलते जाएंगे। लेकिन रुक जाने पर आपको समस्या का हल नहीं मिलेगा।

कथा की सीख

इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि अगर आप समस्याओं के खत्म होने का इंतजार करेंगे तो आपको कभी सुख नहीं मिलेगा। इसीलिए आपको खुद ही अपनी समस्याओं को हल करके आगे बढ़ते जाना चाहिए।

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