एक व्यक्ति साधु-संतों पर ज्यादा विश्वास नहीं करता था, लेकिन उसकी पत्नी उन पर बहुत विश्वास करती थी, इसी बात से पति परेशान रहता था, एक दिन उसने अपने पत्नी के सामने गुरु को अपमानित…….

पुरानी लोक कथाओं के मुताबिक एक व्यक्ति को साधु-संतों पर ज्यादा विश्वास नहीं था। लेकिन उसकी पत्नी साधु-संतों में विश्वास रखती थी। पति इस बात से बहुत परेशान रहता था। पति ने एक दिन अपनी पत्नी के सामने उसके गुरु को अपमानित करने वाले शब्द बोल दिए। यह सुनकर पत्नी को बहुत पीड़ा हुई। यह बात सुनकर पत्नी ने पति से कहा कि तुम अभी इसी वक्त मेरे गुरु जी से क्षमा मांगों।

लेकिन पति अपनी पत्नी की बात मानने के लिए राजी नहीं हुआ। उसने पत्नी से कहा कि साधु-संतों के चक्कर में उलझना अच्छा नहीं होगा। बहुत कहने के बावजूद भी पत्नी नहीं मानी और वह क्रोधित हो गया। बाद में पति ने सोचा की इससे बात खत्म नहीं होने वाली। पत्नी को शांत करने के लिए मैं गुरु से माफी मांग लेता हूं।

पति गुरु के पास गया और हाथ जोड़कर ना चाहते हुए भी उनसे माफी मांगने लगा। गुरु ने व्यक्ति से कहा कि मैं तुम्हें माफ नहीं कर सकता। यहां से जाओ और अपना काम करो। व्यक्ति को गुरु की बात समझ नहीं आई। उसने पत्नी को बताया कि तुम्हारे गुरु ने मुझको यह कहकर लौटा दिया।

पत्नी गुरु जी के पास गई और बोली कि मेरे पति आपसे माफी मांगने आए थे, आपने उन्हें लौटा क्यों दिया। संत ने बताया कि मैं तुम्हारे पति पर बिल्कुल भी क्रोधित नहीं हूं। लेकिन वह बिना मन के मुझसे माफी मांगने आया था। उसे बिल्कुल भी शर्मिंदगी नहीं है।

इस कारण उसको मेरे प्रति क्रोधित रहने दो। अगर मैं उसे माफ कर देता तो हम दोनों के बीच संबंधों में झूठी मधुरता आ जाती और तुम्हारे पति का क्रोध और ज्यादा बढ़ जाता।

संत ने महिला को बताया कि हर पति-पत्नी को एक दूसरे की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए। अगर तुम्हारा पति मेरा सम्मान नहीं करता है तो तुम्हें उससे जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए। तुम इस बात का ध्यान रखो, अन्यथा तुम्हारे वैवाहिक जीवन में परेशानी खड़ी हो सकते हैं।

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