एक व्यापारी के पास खूब धन-संपत्ति थी, लेकिन इसके बावजूद भी उसका मन शांत नहीं था, हर समय वह तनाव में रहता था, एक दिन वह दूसरे गांव………

एक प्राचीन कथा के मुताबिक, एक व्यापारी बहुत ही अमीर था. उसके पास अपार धन-संपत्ति थी. लेकिन फिर भी वह हमेशा तनाव में रहता था. जब एक दिन वह दूसरे गांव से अपने गांव वापस आ रहा था तो रास्ते में उसने एक आश्रम देखा. उस आश्रम में उसे एक संत दिखाई दिए.

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एक व्यापारी के पास धन-संपत्ति की कोई भी कमी नहीं थी, लेकिन उसका मन शांत नहीं था, वह हर समय ही तनाव में रहता था, एक दिन वह दूसरे गांव से वापस अपने गांव आ रहा था, रास्ते में उसे एक आश्रम नजर

सेठ ने संत को प्रणाम किया और अपनी परेशानी बताई. संत ने उससे कहा कि तुम कुछ देर यहां बैठकर ध्यान लगाओ. व्यक्ति ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह ध्यान नहीं लगा पा रहा था. उसके मन में इधर-उधर की बातें चल रही थी. व्यक्ति ने संत से कहा कि वह ध्यान नहीं लगा सकता. संत ने कहा कि चलो तुम मेरे साथ कुछ देर आश्रम में घूमो.

व्यक्ति संत के साथ चल दिया. आश्रम में वह एक पेड़ को हाथ लगा रहा था, तभी उसके हाथ में कांटा चुभ गया. कांटा चुभने की वजह से उसे दर्द हो रहा था. संत तुरंत ही आश्रम से लेप लेकर आए और उस व्यक्ति के हाथ पर लगा दिया. संत ने कहा कि जिस तरह कांटा चुभने पर तुम्हें दर्द हो रहा है, ठीक उसी तरह तुम्हारे मन में क्रोध, अहंकार, ईर्ष्या, लालच जैसे कांटे चुभे हुए हैं. जब तक तुम अपने मन से इन्हें नहीं निकालोगे, तुम्हें शांति नहीं मिलेगी. सेठ संत की बात को समझ गया और धीरे-धीरे उसकी सारी बुराइयां नष्ट हो गई.

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि अगर हमें शांति चाहिए तो हमें अपने अंदर की बुराइयों को दूर करना होगा. हमें क्रोध, अहंकार और लालच से मुक्ति पानी होगी. तभी हम सुखी रह पाएंगे.

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