एक संत अपने आश्रम में शिष्यों को उपदेश दे रहे थे, तभी वहां उनका एक शिष्य पहुंचा, जोकि स्वभाव से बड़ा क्रोधी था, उसने अपने गुरु से कहा आपका स्वभाव इतना मधुर कैसे? क्या आपको…….

एक बार एक संत अपने आश्रम में बैठे थे। तभी उनका एक शिष्य आया। वह बहुत ही क्रोधी था। उसने कहा कि गुरु जी आपका व्यवहार इतना मधुर कैसे हैं। आप किसी पर क्रोध क्यों नहीं करते हो। आप किसी को भला -बुरा क्यों नहीं बोलते हो। आप मुझे इसका राज बताइए।

संत ने कहा कि मैं अपनी राज के बारे में नहीं जानता। लेकिन मैं तुम्हारा राज जानता हूं। शिष्य ने हैरान होकर पूछा मेरा क्या राज है गुरु जी। संत ने कहा कि तुम्हारी 7 दिन बाद मृत्यु हो जाएगी। यह सुनकर वो बहुत ही उदास हो गया और वहां से चला गया।

बाद में शिष्य का स्वभाव बहुत ही बदल गया। अब वह सभी से प्रेम से बात करता था। वह किसी पर क्रोध नही करता। अपना ज्यादातर समय ध्यान और पूजा में लगाता। वह उन लोगों के पास भी पहुंचा, जिनसे पहले उसने बुरा व्यवहार किया था और अपनी गलती की माफी मांगी।

संत ने 7 दिन बाद शिष्य से सवाल किया कि तुम्हारे 7 दिन कैसे बीते। क्या अब तुम पहले की तरह ही नाराज होते हो या किसी के साथ बुरा व्यवहार करते हो। शिष्य ने बताया बिल्कुल नहीं।

मेरे पास जिंदगी को जीने के लिए 7 दिन थे मैं इनको बेकार की बातों में कैसे गवा सकता था। अब मैंने इन 7 दिनों में सभी से प्रेम से बात की और जिन लोगों से बुरा व्यवहार किया उनसे माफी भी मांगी।

संत ने कहा कि यही मेरे अच्छे व्यवहार का राज है। मुझे पता है कि मैं कभी भी दुनिया को छोड़ कर जा सकता हूं। इसलिए मैं हर किसी से अच्छा व्यवहार करता हूं। शिष्य को अपने गुरु की बात समझ आ गई कि उन्होंने यह शिक्षा देने के लिए मुझे मृत्यु का भय दिखाया था।

कहानी की सीख

लोगों में गलत आदतें आती है। लेकिन वह सोचते हैं कि मैं इस आदत को जल्दी ही छोड़ दूंगा। लेकिन ऐसा करते-करते दिन निकल जाते हैं। ध्यान रखना चाहिए जिंदगी बहुत ही छोटी है। सभी से अच्छा व्यवहार करना चाहिए।

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