एक संत अलग-अलग गांव में भिक्षा मांगने के लिए जाते थे, एक दिन संत गांव की एक दुकान पर पहुंचे, दुकान में रखे हुए डिब्बों की तरफ इशारा करते हुए संत ने पूछा इनमें क्या है…….

हर व्यक्ति पूजा-पाठ करता है. लेकिन कुछ लोग ही सच्चे मन से पूजा करते हैं. एक कथा के मुताबिक, एक संत अलग-अलग गांव में घूमने जाते थे और जो भिक्षा मिलती थी, उसी से गुजारा करते थे. एक दिन संत गांव की दुकान पर गए. दुकान में कुछ डिब्बे रखे हुए थे. संत ने दुकानदार से डिब्बों की तरफ इशारा करते हुए पूछा कि इनमें क्या है.

एक संत अलग-अलग गांव में घर-घर जाकर भिक्षा लेते थे, एक दिन वे गांव की एक दुकान पर गए, दुकान में कई छोटे-बड़े डिब्बे रखे हुए थे, संत ने दुकानदार से डिब्बों की तरफ इशारा करते हुए पूछा कि इन डिब्बों में क्या है, दुकानदार

दुकानदार ने बताया कि किसी डिब्बे में नमक है, किसी ने मिर्च और किसी में हल्दी. संत ने दुकान में एक तरफ रखे डिब्बे की तरफ इशारा करके पूछा- इसमें क्या है. दुकानदार ने कहा- उसमें राम-राम है. संत ने पूछा- यह राम-राम नाम की कौन सी चीज है. दुकानदार ने कहा- महाराज वह डिब्बा खाली है. हम खाली को खाली नहीं कहते, उसे राम-राम कहते हैं।

यह सुनते ही संत की आंखें खुल गई. उसे समझ आ गया कि जब तक हमारा मन खाली नहीं होगा .उसमें भगवान का वास नहीं हो सकता. जिन लोगों के मन में क्रोध, लालच, ईर्ष्या जैसी बुराइयां होती है. उनके मन में भगवान कभी नहीं बस सकता.

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि जिन लोगों के अंदर लालच, ईर्ष्या जैसी बुराइयां है. उनको कभी पूजा पाठ में सफलता नहीं मिल सकती. अगर सच्ची भक्ति करनी है तो पहले बुराइयों से छुटकारा पाना होगा।

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