एक संत को रास्ते में एक स्वर्ण मुद्रा मिली, उन्होंने उस मुद्रा को उठाया और सोचा कि इसे में किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दे दूंगा, अगले दिन संत ने उस स्वर्ण मुद्रा को……
बहुत से लोग लालच की वजह से मुश्किल परिस्थितियों में फंस जाते हैं. लालच बुरी बला है. एक प्राचीन कथा के मुताबिक, एक संत अपने शिष्यों के साथ एक गांव से दूसरे गांव में जा रहे थे. उन्हें रास्ते में स्वर्ण मुद्रा मिली. संत ने मुद्रा को उठाया और शिष्यों से कहा- सोने का यह सिक्का सबसे जरूरतमंद व्यक्ति को देंगे. जबकि शिष्यों ने सोचा- अगर यह सिक्का उन्हें मिला होता तो मनपसंद भोजन कर सकते थे. लेकिन गुरु के सामने कोई कुछ नहीं बोला.
रात होने पर गुरु अपने शिष्यों के साथ गांव के बाहर पड़ाव डालकर रुक गए. अगले दिन उन्होंने सुबह देखा कि उस क्षेत्र का राजा अपनी विशाल सेना लेकर पड़ोसी राज्य पर आक्रमण करने के लिए जा रहा है. संत अपने शिष्यों के साथ उस राजा के पास गए. मंत्री ने राजा को संत के विषय में बताया तो राजा अपने रथ से उतरकर संत के पास पहुंचा और उन्हें प्रणाम किया.
संत ने अपनी झोली में से स्वर्ण मुद्रा निकालकर राजा को दे दी जिसे देखकर राजा हैरान हुआ. उसने राजा से पूछा- गुरुदेव आप मुझे यह सिक्का क्यों दे रहे हैं. संत ने कहा- मुझे यह स्वर्ण मुद्रा रास्ते में मिली थी और मैंने सोचा कि मैं यह सबसे जरूरतमंद व्यक्ति को दूंगा. आपके पास अपार धन-संपत्ति है, बड़ा राज्य है. लेकिन आप फिर भी दूसरे राज्य पर अधिकार करना चाहते हैं. इसीलिए आप अपनी सेना लेकर पड़ोसी राज्य पर आक्रमण करने जा रहे है.
आपके लालच का कोई अंत नहीं है. आपसे ज्यादा जरूरतमंद और कोई नहीं है. इसी वजह से यह सिक्का में आपको दे रहा हूं. संत की बात सुनकर राजा को अपनी गलती का पछतावा हुआ. उसने संत से माफी मांग ली और वह अपनी सेना वापस लेकर अपने राज्य लौट गया.
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि व्यक्ति लालच की वजह से सोचने-समझने की शक्ति खो देता है. उसे अच्छे-बुरे का फर्क पता नहीं चलता. इसीलिए लालच नहीं करना चाहिए.