एक संत रोजाना घास की एक टोकरी बनाकर उसे नदी में बहा दिया करते थे, अचानक ही संत ने इस काम को करना बंद कर दिया, एक दिन जब वह नदी के किनारे ऐसे ही टहल रहे थे तो…..
किसी नदी के किनारे एक संत रहते थे। उस संत के आश्रम के चारों ओर घास उग आई। संत को घास की टोकरी बनानी आती थी। उन्होंने सोचा कि उनके आश्रम के पास इतनी खास है तो क्यों ना इस घास की टोकरी बनाएं। इससे आश्रम के आसपास की सफाई की हो जाएगी। अगले दिन जब संता खाली बैठे थे तो उन्होंने घास की टोकरी बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने सोचा कि ये टोकरी मेरे किसी काम की नहीं तो उन्होंने वो टोकरी नदी में बहा दी।
यह सिलसिला चलता रहा। वह संत रोज एक टोकरी बनाते और उसे नदी में बहा देते। इसके बाद एक दिन संत ने सोचा कि मैं व्यर्थ में ऐसा कर रहा हूं। अगर मैं टोकरिया बनाकर किसी को देता हूं तो यह किसी के काम आ सकती थीं। इसके बाद संत ने टोकरी बनाना बंद कर दिया।
कुछ दिन बाद जब संत नदी के किनारे टहल रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक बूढ़ी महिला वहां बैठ कर रो रही है। जब उन्होंने महिला से पूछा कि वह क्यों रो रही है, तो महिला ने बताया कि मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है। मैं अकेले जैसे-तैसे अपना पेट पालती हूं।
कुछ दिन पहले तक नदी के किनारे हर रोज घास की बनी सुंदर टोकरी बहकर आ जाती थी, जिसे बेचकर मैं अपना गुजारा कर लेती थी। लेकिन कुछ दिन से टोकरियां नहीं आ रही है। इस वजह से मैं काफी दुखी हूं। इसके बाद महिला की बात सुनकर संत ने फिर से टोकरी बनाना शुरू कर दी और वे टोकरी को नदी में बहाने लगे।
लाइफ मैनेजमेंट
जब हम निस्वार्थ भाव से कोई भी काम करते हैं तो उसका किसी ना किसी को फायदा जरूर होता है। इस तरह आप किसी की खुशी का कारण बनते हैं। इसलिए कोई भी अच्छा काम करते समय यह विचार ना करें कि इससे आपको क्या फायदा होगा। आप छोटी-सी मदद करके दूसरों के लिए जीने का सहारा बन सकते हैं।