एक सड़क किनारे अंधा भिखारी रोजाना भीख मांगता था, इसी से उसका गुजारा होता था, एक दिन एक अमीर सेठ ने उसे ₹100 का नोट दिया और चला गया, जब भिखारी ने उसे नोट को टटोलकर देखा तो……
एक अंधा भिखारी हर रोज सड़क किनारे भीख मांगा करता था। भीख में मिले पैसों से ही उसका गुजारा होता था। वह इस दुनिया में अकेला था। एक दिन सड़क से गुजरते हुए एक अमीर सेठ को उस भिखारी की हालत देखकर उस पर दया आ गई। सेठ ने उसको 100 रूपए का नोट दिया। सेठ भिखारी को पैसा देकर वहां से चला गया।
अंधे भिखारी ने जब नोट को टटोलकर देखा तो उसे लगा कि किसी ने उसको कागज का टुकड़ा दे दिया है, क्योंकि भिखारी को पहले कभी किसी ने सौ का नोट नहीं दिया था। भिखारी को लगा कि 100 का नोट कागज का टुकड़ा है। यह सोचकर भिखारी ने सौ का नोट फेंक दिया।
भिखारी के पास खड़े एक व्यक्ति ने देखा कि भिखारी ने पैसे फंक दिए हैं तो उसने भिखारी से इसका कारण पूछा। तब भिखारी को पता चला कि उसने जिसे कागज का टुकड़ा समझकर फेंक दिया था, वह 100 का नोट है। 100 के नोट से भिखारी की बहुत सारी जरूरतें पूरी हो सकती थीं। यह सोचकर अधिकारी काफी खुश हो गया और उसने सोचा कि इन पैसों से उसका कुछ दिन का गुजारा हो जाएगा।
लाइफ मैनेजमेंट
अक्सर हम अपने हाथ में आए अवसरों को पहचान नहीं पाते और उन्हें गवा देते हैं। जब बाद में हमें पता चलता है कि ये अवसर हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण साबित हो सकता था तो हम पछताते हैं। इसी वजह से बिना सोचे-समझे आगे बढ़ने के किसी भी मौके को गंवाना नहीं चाहिए।