एक सेठ के पास खूब धन-दौलत थी, लेकिन उसके पास सुख नहीं था, एक दिन सेठ हीरे-जवाहरात थैली में भरकर महात्मा के पास पहुंचा, जैसे ही उस थैली को…..

एक शहर में एक सेठ रहता था जिसके पास बहुत धन दौलत थी. लेकिन उसके परिवार में कोई नहीं था. उसे ऐसा लगता था कि उसके रिश्तेदारों की नजर उसकी धन दौलत पर है. इसीलिए वह सब से दूर रहता था. जब वह बूढ़ा हो गया तो उसने सोचा कि मेरा पूरा जीवन तो धन कमाने में निकल गया. लेकिन मेरे मन को संतोष नहीं मिला है. यह विचार कर रहे साधु-संतों के पास गया. लेकिन उसे सभी से निराशा मिली.

एक दिन उसे एक महात्मा के बारे में पता चला जिनके बारे में एक बात प्रसिद्ध थी कि उन महात्मा का समझाने का तरीका बहुत अनोखा है, इसलिए चौंकना मत. लेकिन वह तुम्हारी हर परेशानी दूर कर देंगे. सेठ महात्मा से मिलने पहुंचा. वह एक थैले में सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात भरकर ले गया. महात्मा पेड़ के नीचे बैठे हुए थे. सेठ थैला लेकर महात्मा के सामने गया और थैला उनके सामने पटक दिया और बोला- मेरे पास इतना धन है. लेकिन सुख-चैन नहीं है. मैं कैसे सुखी हो सकता हूं.

थोड़ी देर महात्मा ने सोचा और वह थैला लेकर भाग गए. सेठ को कुछ भी समझ नहीं आया. फिर उसने सोचा कि मुझे तो इस आदमी ने लूट लिया. मेरे जीवन भर की कमाई लेकर वह भाग गया. सेठ महात्मा के पीछे दौड़ने लगा. महात्मा ने सेठ को पूरे गांव का चक्कर लगवाया. गांव के लोग महात्मा के बारे में सब जानते थे.

वह समझ गए कि इसमें कोई ना कोई बात है.थोड़ी देर बाद महात्मा उसी पेड़ के नीचे आकर रुके और उन्होंने थैला पटक दिया और वह पेड़ के पीछे जाकर छिप गए. सेठ थक हार कर पेड़ के नीचे पहुंचा और थैला देखकर बहुत खुश हो गया. लेकिन उसने बाद में सोचा कि मैं यह तो महात्मा को देने के लिए ही लाया था. तभी महात्मा पेड़ से बाहर निकले और बोले- धन संपत्ति का मोह त्याग दो. तुम अपनी संपत्ति का इस्तेमाल दूसरों की भलाई के लिए करो तो तुम्हारा जीवन सुखी होगा.

कहानी की सीख

इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि हमें जरूरी कामों के लिए पैसों का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर हमारे पास जरूरत से ज्यादा पैसा है तो दूसरों की मदद करनी चाहिए. इससे सबका भला होगा.

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