एक सेठ के पास बोलने वाला तोता था, वह सेठ रोजाना महात्मा के सत्संग सुनने जाया करता था, 1 दिन तोते ने सेठ से महात्मा से एक सवाल पूछने के लिए कहा- तोते का सवाल…..

एक शहर में एक सेठ रहता था जिनके पास बोलने वाला तोता था. सेठ हर रोज शाम को महात्मा का सत्संग सुनने जाते थे. जब यह बात तोते को पता चली तो तोते ने एक दिन सेठ से कहा कि आपआज जब महात्मा जी से मिले तो मेरी तरफ से उनसे एक सवाल पूछना. सेठ ने कहा- ठीक है, लेकिन तुम सवाल बताओ.

तोते ने कहा- आप महात्मा जी से पूछना कि मुझे आजादी कब मिलेगी. सेठ महात्मा के सत्संग में पहुंचे. जब सत्संग खत्म हुआ तो लोग महात्मा जी से सवाल पूछने लगे. सेठ ने भी महात्मा जी को सारी बात बताई और तोते द्वारा पूछा गया सवाल पूछ लिया. सवाल सुनते ही महात्मा जी बेहोश हो गए. जैसे-तैसे उन्हें होश में लाया गया.

जब रात को सेठ घर पहुंचा तो तोते ने पूछा कि महात्मा जी ने मेरे सवाल का क्या जवाब दिया. सेठ ने तोते को पूरी बात बताई. यह सुनते ही तोता मर गया. यह सब देखकर सेठ को बहुत आश्चर्य हुआ. उसने पिंजरा खोला तो तोता उसमें से बाहर निकल कर भाग गया.

सेठ को समझ आ गया कि तोता मरा नहीं था और मरने का नाटक कर रहा था. अगले दिन सेठ महात्मा जी के सत्संग में पहुंचे तो उन्होंने महात्मा को तोते वाली घटना बता.ई महात्मा बोले कि तुम्हारा तोता बहुत समझदार निकला. उसे मेरे द्वारा दिया गया जवाब समझ आ गया और वह पिंजरे से आजाद हो गया.

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सेठ हर रोज सत्संग में जाता. वह संत की अच्छी बातों को सुनता है. लेकिन उन्हें अपने जीवन में उतार नहीं पाता. जबकि उसे पता है कि महात्मा जी के द्वारा बताई गई बातें उसके लिए फायदेमंद होगी. इसी तरह हम अपने जीवन में सकारात्मक बातों को महत्व नहीं देते, जिनसे हमें परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है।

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