एक सेठ को अपने बिजनेस के लिए साझेदार की जरूरत थी, उसे एक व्यक्ति मिला, वह व्यक्ति उसके मित्र का जानकार था, मित्र को इस बात की जानकारी थी कि अनजान व्यक्ति ठग है…..

एक सेठ अपना व्यवसाय बढ़ाना चाहता था. इसके लिए वह किसी के साथ साझेदारी करना चाहता था. उसे एक व्यक्ति मिला. लेकिन वह अनजान था. उसने अपने मित्र से उस अनजान व्यक्ति से साझेदारी करने से पहले उसके बारे में पूछा. अनजान व्यक्ति उसके खास मित्र का परिचित था.

एक सेठ किसी अनजान व्यक्ति को बनाना चाहता था बिजनेस में साझेदार, वह व्यक्ति उसके मित्र का जानकार था, मित्र को इस बात की जानकारी थी कि अनजान व्यक्ति ठग है

अनजान व्यक्ति था ठग

अनजान व्यक्ति ठग था, यह बात सेठ के मित्र को अच्छी तरह से पता थी. मित्र शास्त्रों का जानकार था और उसे पता था कि कभी किसी के साथ बुराई नहीं करनी चाहिए. इसीलिए उसने हर व्यक्ति की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह जिसके साथ काम करता है, उसका विश्वास जीत लेता है.

मित्र की बात मानकर सेठ ने उसको साझेदार बना लिया. साझेदार ने शुरू शुरू में अच्छा काम किया और व्यापारी का भरोसा जीत लिया. एक दिन उसने मौका मिलते ही साझेदार ने सारा धन चोरी कर लिया और भाग गया. जब यह बात व्यापारी को पता चली तो वह अपने मित्र के पास गया.

अपने मित्र से की साझेदार की शिकायत

सेठ ने अपने मित्र से कहा- तुमने जिस व्यक्ति को अच्छा बताया था वह मेरा सारा धन लूट कर भाग गया. तब मित्र ने कहा कि मैंने तो सच ही कहा था. वह अच्छा काम करके विश्वास जीत लेता है. चोरी तो वह अंतिम दिन करता है. मित्र ने कहा कि मैंने शास्त्रों में पढ़ा था कि कभी किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए. इसीलिए मैंने उसकी बुराई नहीं की. व्यापारी ने कहा कि तुम्हारे इस कोरे ध्यान की वजह से मैं बर्बाद हो गया.

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