एक सेठ बहुत दयालु था, वह हर किसी को पैसे उधार दे दिया करता था, लेकिन पैसे देते समय वह सभी से बस एक ही सवाल पूछता था कि कर्ज कब चुकाओगे……
एक सेठ इतना दयालु था कि वह उधार मांगने वाले व्यक्ति को उधार देने से मना नहीं करता था। सेठ जी उधार मांगने वाले व्यक्ति से एक ही सवाल करते थे तुम यह उधार इसी जन्म में लौटाओगे या अगले जन्म में। जो लोग ईमानदार होते थे वह कहते थे इसी जन्म में, जब कि जो लोग बेईमान होते थे वह कहते थे अगले जन्म में।
बेईमान लोग सेठ को मूर्ख समझते थे। वे सोचते थे कि कौन-सा आदमी अगले जन्म में पैसा लौट आता है। एक बार एक चोर सेठ के पास गया और उन से उधार मांगने लगा। सेठ ने चोर से पूछा कि तुम उधार कब लौटाओगे, इसी जन्म में या अगले जन्म में। चोर ने कहा कि मैं अगले जन्म में पैसे लौटाऊंगा। सेठ ने चोर को पैसे देने के लिए तिजोरी खोली तो चोर को तिजोरी में बहुत सारा माल दिखाई दिया।
चोर ने सेठ के घर चोरी करने का प्लान बनाया। रात के वक्त जब सेठ जी सो रहे थे तब चोर उनके घर में घुस गया। चोर भैंसों के तबेले में छुप गया। वह सही मौके का इंतजार कर रहा था। उस वक्त दो भैंसे कुछ बात कर रही थी। एक भैंस ने दूसरी भैंस से पूछा कि क्या आज तुम पहली बार यहां आई हो तो दूसरी भैंस ने कहा कि हां मैं सेठजी का कर्ज चुकाने के लिए यहां आई हूं। मैंने पिछले जन्म में उनसे कर्ज लिया था। पहली भैंस ने कहा कि मुझे यहां रहते हुए 3 साल हो गए हैं। पिछले जन्म में मैंने यह कहकर सेठ जी से उधार लिया था कि मैं आपको अगले जन्म में लौटा दूंगी। सेठ जी से उधार लेने के बाद मेरी मौत हो गई और मैं भैंस बन गई। मैं सेठ जी का कर्ज दूध देकर चुका रही हूं। जब तक में सेठ जी का पूरा कर्ज नहीं चुका देती तब तक यही रहूंगी।
यह बात सुनकर चोर हैरान रह गया। चोर को समझ आ गया कि किसी से भी लिया गया उधर तो चुकाना ही पड़ता है, चाहे वह इस जन्म में हो या फिर अगले जन्म में। चोर ने सेठ जी के घर चोरी करने का फैसला बदल लिया और अगले दिन सेठ से लिया हुआ कर्ज लौटा दिया।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि जैसा आप इस जन्म में करोगे, वैसा अगले जन्म में भुगतोगे। इसलिए अपने जीवन में कभी भी बुरे कर्म नहीं करनी चाहिए अन्यथा आपको अगले जन्म में बुरे कर्म भोगने पड़ेंगे।