एक 8 साल का बच्चा भगवान से मिलना चाहता था, एक दिन किसी को भी बिना कुछ बताए वह भगवान से मिलने के लिए निकल गया, नदी किनारे उसे एक बुजुर्ग व्यक्ति मिले……
एक 8 साल का बच्चा अक्सर अपने माता-पिता से कहता था कि उसे भगवान से मिलना है। लेकिन उसके माता-पिता का बहाना बना देते। बच्चा चाहता था कि वह भगवान के दर्शन करें और उनके साथ बैठकर खाना खाए। एक दिन वह बिना किसी को बताए एक थैली में कुछ रोटियां लेकर भगवान की तलाश में निकल गया। वह चलते-चलते एक नदी किनारे पहुंचा, जहां उसे एक बुजुर्ग व्यक्ति दिखे।
उस बुजुर्ग की आंखों में गजब की चमक थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह उस बच्चे का ही इंतजार कर रहे हों। बच्चा उन बुजुर्ग के पास गया और उनके पास बैठकर रोटियां खाने लगा। जब उसने मुस्कुराकर रोटी वाला हाथ बुजुर्ग की ओर बढ़ाया तो उन्होंने उससे रोटी ले ली और खाने लगे। बुजुर्ग का चेहरा खुशी से खिल उठा और उनकी आंखों में आंसू भी आ गए।
बच्चे और बुजुर्ग ने एक साथ बैठकर खूब प्रेम से खाना खाया। जब रात हो गई तो वह बच्चा घर जाने लगा। बच्चे ने जब पीछे मुड़कर देखा तो बुजुर्ग उसकी ओर ही देख रहे थे। जब बच्चा घर पहुंचा तो उसकी मां ने उसे गले से लगा लिया। बच्चा बहुत खुश था। मां ने उससे पूछा कि तुम आज इतनी खुश क्यों हो? तो बच्चे ने बताया कि आज मैंने भगवान के साथ रोटी खाई और उन्हें भी खिलाई।
भगवान बहुत बूढ़े हो गए हैं। लेकिन वे बहुत प्यार करते हैं, उन्होंने मेरे सिर पर हाथ भी रखा। वहीं जब वह बुजुर्ग गांव में पहुंचा तो उनकी खुशी को देखकर लोगों ने उनसे कारण पूछा तो उन्होंने बताया मैं 2 दिन से नदी के तट पर अकेला भूखा बैठा था। मुझे पता था परमात्मा आएंगे और मुझे खाना खिलाएंगे और भगवान मेरे पास आए और मुझे अपने हाथों से खाना खिलाया। उन्होंने मुझे गले भी लगाया। परमात्मा बहुत ही मासूम है और बिलकुल बच्चे की तरह दिख रहे हैं।
कथा की सीख
असहाय और आश्रितों की हमेशा मदद करनी चाहिए। यही भगवान की सेवा है। जब भी समय मिले तो आप जरूरतमंद की मदद करें। इससे आपको भगवान की कृपा की प्राप्ति होती है।