कथा; कौरव और पांडव राजकुमारों की शिक्षा का समय था, द्रोणाचार्य राजकुमारों के गुरु थे, एक दिन गुरु द्रोणाचार्य ने शिष्यों से कहा कि सत्य नाम के अध्याय का पाठ करें, याद करें और आत्मसात करके आना है, आत्मसात शब्द का अर्थ है जीवन……..

अच्छी बातें सिर्फ पढ़ने-सुनने से लाभ नहीं मिलता है। जीवन में सुख-शांति और सफलता चाहते हैं तो अच्छी बातों को जीवन में उतारें। ये बात पांडव युधिष्ठिर से सीख सकते हैं। महाभारत की एक कथा है। कौरव और पांडव राजकुमारों की शिक्षा का समय था। द्रोणाचार्य राजकुमारों के गुरु थे। एक दिन गुरु द्रोणाचार्य ने शिष्यों से कहा कि सत्य नाम के अध्याय का पाठ करें, याद करें और आत्मसात करके आना है।

आत्मसात शब्द का अर्थ है जीवन में, अपने आचरण में उतारना। अगले दिन सभी राजकुमार द्रोणाचार्य के पास पहुंचे तो द्रोणाचार्य ने पूछा कि कौन-कौन कल दिया हुआ अध्याय याद करके आया है?

युधिष्ठिर के अलावा सभी राजकुमारों ने हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने युधिष्ठिर से पूछा कि तुमने हाथ क्यों नहीं उठाया है, क्या तुमने अध्याय याद नहीं किया है?

युधिष्ठिर ने कहा कि हां, मुझे अभी तक ये विषय याद नहीं हुआ है।

ये बात सुनकर द्रोणाचार्य हैरान हो गए। वे सोचने लगे कि युधिष्ठिर तो सबसे बुद्धिमान है, फिर इसने अध्याय याद क्यों नहीं किया?

गुरु ने कहा कि ठीक है कल जरूर याद कर लेना।

अगले दिन भी युधिष्ठिर अध्याय याद करके नहीं आए। गुरु ने फिर से यही कहा कि कल याद कर लेना। इसी तरह कई दिन बीत गए, लेकिन युधिष्ठिर उसी अध्याय पर अटके हुए थे। जबकि अन्य राजकुमार 10 दिनों के 10 पाठ याद कर चुके थे।

द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर से पूछा कि क्या बात है, क्या दिक्कत है जो तुम ये अध्याय याद क्यों नहीं कर पा रहे हो?

युधिष्ठिर ने कहा कि गुरुदेव, जिस तरह मेरे सभी भाई अध्याय याद कर रहे हैं, अगर वैसे ही याद करना है तो याद करने में कोई समस्या नहीं है। लेकिन आपने कहा था कि सत्य नाम का अध्याय याद करना है और उसे आत्मसात करना है। आत्मसात यानी जीवन में उतारना। सत्य को जीवन में उतारने में मुझे बहुत दिक्कत हो रही है। जब तक मैं इसे आत्मसात नहीं कर लूंगा, तब तक मैं कैसे बोल सकता हूं कि मैंने अध्याय याद कर लिया है।

ये बातें सुनकर द्रोणाचार्य बहुत खुश हुए और वे समझ गए कि युधिष्ठिर सभी राजकुमारों में सबसे अधिक विद्वान हैं।

कथा की सीख

इस कथा में युधिष्ठिर ने संदेश दिया है कि हमें अच्छी बातें पढ़ने और सुनने के साथ ही उन्हें जीवन में उतारने का संकल्प भी लेना चाहिए। जब तक हम अच्छी बातें जीवन में नहीं उतारेंगे तो तब तक कोई लाभ नहीं है।

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