कभी सोचा है आपने कि कैसे लोहे की कील तो पानी में डूब जाती है लेकिन भारी-भरकम जहाज तैरता रहता है?
आप सभी ने पानी में जहाज तैरते हुए देखा होगा. जहाज हजारों टन का होता है, लेकिन लोहे की कील पानी में डूब जाती है. आपके मन में भी यह सवाल उठता होगा कि आखिर जहाज पानी में कैसे तैरता रहता है. जबकि उसका वजन इतना ज्यादा होता है.
दिल्ली के विशाल खंडेलवाल ने बताया कि लोहे की नाव या भारी-भरकम जहाज पानी में इस वजह से नहीं डूबता क्योंकि उसके पीछे आर्कमिडीज का सिद्धांत काम करता है. जब हम लोहे की कोई वस्तु पानी में डालते हैं तो वस्तु द्वारा हटाए गए जल का भार उस वस्तु के भार के बराबर होता है और हटाए गए पानी की ताकत उसे ऊपर की ओर उछालती है और वह आयतन तैरता रहता है.
इसी वजह से हम जब लोहे का टुकड़ा पानी में डालते हैं तो उसके द्वारा हटाए गए पानी के ऊपर से लगने वाली शक्ति का छोटा आकार मिलता है. इसीलिए लोहे का टुकड़ा पानी में डूब जाता है. लेकिन अगर लोहे के टुकड़े को एक प्लेट के आकार का बना दिया जाए तो पानी के नीचे से लगने वाली शक्ति को बड़ा आकार मिल जाता है, जिससे वह तैरती रहती है. यही वजह है कि लोहे का छोटा टुकड़ा पानी में डूब जाता है और बड़े-बड़े जहाज तैरते रहते हैं.
पानी का जहाज या मोटर बोट इंजन बंद होने के बाद भी पानी की सतह पर तैरते रहते हैं, क्योंकि उनकी बनावट विशेष प्रकार की होती है. इसी वजह से वह पानी पर तैरते रहते हैं. यदि पानी की सतह पर खड़े जहाज को बीच में से दो टुकड़े कर दिया जाए तो वह दोनों टुकड़े पलक झपकते ही पानी के अंदर डूब जाएंगे.