किन्नरों की बद्दुआ से आखिर हर किसी को क्यों लगता है डर, जानिए वजह

किन्नर समुदाय के लोगों से जुड़ी हुई कई कहानियां हैं. जब खुशी का कोई मौका होता है या शादी-ब्याह होता है तो किन्नर नाचते गाते हैं दुआएं देते हैं. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि किन्नरों की बद्दुआ कभी नहीं लेनी चाहिए. लोग किन्नरों की बद्दुआ लेने से बहुत डरते हैं. ऐसा क्यों है. इसके पीछे की वजह शायद आप नहीं जानते होंगे.

किन्नरों को भारत में हिजड़ा भी कहा जाता है. वैसे तो देश में इन्हें थर्ड जेंडर का दर्जा मिला है. लेकिन आज भी हमारे समाज में इनको अलग दृष्टि से देखा जाता है. इन लोगों से भेदभाव किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि किन्नरों की हाय हर हाल में लगती है. किन्नर अपनी आइडेंटिटी की वजह से जीवन भर तकलीफ में रहते हैं. ऐसे में उनके दिल से बद्दुआ निकलती है, उससे भी तकलीफ होती है.

खास तौर पर आर्थिक मामले में इनकी बद्दुआ को बहुत मारक माना गया है. ऐसे लोग जीवन भर मुसीबत खेलते हैं. किन्नरों को ना तो समाज में प्यार मिलता है और ना ही उनके परिवार वालों से, इसी वजह से किन्नर जीवन भर दुखी रहते हैं. किन्नरों की शादी भी एक ही दिन के लिए होती है. किन्नर इरावन या अरावन नाम के देवता की पूजा करते हैं. किन्नर खुद को मंगल मुखी मानते हैं यानी मंगल कामों से जुड़ा हुआ. इसी वजह से अपने ही समुदाय के किसी सदस्य की मौत पर भी यह लोग नहीं रोते हैं.

यह लोग अपने सदस्यों का अंतिम संस्कार भी गुप्त तरीके से करते हैं. ऐसा माना जाता है कि अगर कोई बाहरी सदस्य उनका अंतिम संस्कार देखेगा तो अगले जन्म में वह किन्नर के रूप में पैदा होगा. किन्नरों की दुआएं बदहाली में जी रहे लोगों का जीवन भी बदल सकती है, ऐसी मान्यता है. ऐसा कहा जाता है कि किन्नरों से एक सिक्का लेकर पर्स में रखने से पैसों की बरकत होती है.

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