किसी गांव में एक व्यक्ति रहता था, वह बड़ा ही कंजूस था, उसने अपनी जिंदगी में कभी किसी की मदद नहीं की, ना किसी गरीब को कभी दान दिया, जब वह व्यक्ति मरा तो उसे……

एक गांव में कंजूस आदमी रहता था। उसने अपनी पूरी जिंदगी में किसी भी प्राणी या व्यक्ति की मदद नहीं की थी। उसने बिल्कुल भी दान नहीं दिया था। जब उसकी मृत्यु हो गई तो उसके कर्मों के मुताबिक उसे नर्क में जगह मिली।

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नर्क में उसे कंजूस आदमी को बहुत ही दयनीय स्थिति में रहना पड़ता था। अब वह आदमी बहुत रोता था और भगवान से प्रार्थना करता था कि मुझे बाहर निकाल दो। आखिरकार 1 दिन उस पर भगवान ने दया की। चित्रगुप्त से भगवान ने पूछा कि क्या इस व्यक्ति ने अपने जीवन में कोई भी ऐसा काम किया है जिससे इसे स्वर्ग में भेज दिया जाए।

किसी गांव में एक कंजूस व्यक्ति रहता था, अपनी पूरी जिंदगी में उसने किसी की कोई भी मदद नहीं की, गरीबों को कभी भी दान नहीं दिया, जब व्यक्ति मरा तो उसे उसके कर्मों के अनुसार ही नर्क में जगह मिली, नर्क में उसे

चित्रगुप्त ने अपने बहीखाते में देखकर बताया कि इस कंजूस व्यक्ति ने अपने जीवन में सिर्फ एक व्यक्ति को सढ़ा हुआ केला दान में दिया था। इस कारण भगवान को उस व्यक्ति को स्वर्ग में भेजने का उपाय मिल गया। भगवान ने उस व्यक्ति के पास एक सीढ़ी भेज दी और कहा कि तुम इस सीढ़ी के जरिए स्वर्ग तक जा सकते हो। अब वह व्यक्ति काफी खुश हुआ और सीढ़ियों पर चढ़ने लगा।

उस व्यक्ति को देखकर नर्क में मौजूद और भी बुरे लोग उस सीढ़ी पर चढ़ने लगे। लेकिन वह कंजूस व्यक्ति उन लोगों को सीढ़ियों पर से धक्का दे रहा था और कह रहा था कि भगवान ने यह सीढ़ी मुझे दी है। आप इसका प्रयोग नहीं कर सकते।

तुरंत ही सीढ़ी गायब हो गई और कंजूस व्यक्ति फिर से नर्क में आ गया। तुरंत ही उसे एक आवाज सुनाई दी। किसी ने कहा कि तुम नर्क में किसी की मदद नहीं कर रहे हो। इसलिए यह तुम्हारे लिए सबसे सही जगह है।

कहानी की सीख

इस कहानी को से हमें सीखने को मिलता है कि हम जैसा दूसरों को देना चाहते हैं, हम स्वयं वैसा ही पाते हैं। कंजूस लोग कभी भी अपने जीवन का आनंद नहीं ले पाते। लेकिन हर किसी को दूसरों की मदद जरूर करनी चाहिए। इसका पूरे जीवन में लाभ मिलता है।

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