किसी शहर में एक पिता-पुत्र रहते थे, जब पिता नौकरी से रिटायर हो गया तो बेटे की नौकरी लग गई, बेटा अपने पिता की हर बात मानता था, एक दिन बेटे की शादी हो गई, 1 साल बाद बेटे को एक पुत्र…….
पिता और पुत्र दोनों एक साथ किसी शहर में रहते थे। जब पिता नौकरी से रिटायर हुए तो उसके बाद बेटे की नौकरी लग गई। बेटा बहुत ही आज्ञाकारी था जो अपने पिता की हर बात मानता था। बेटे की उम्र होने पर पिता ने उसकी शादी करवा दी, जिसके एक साल बाद बेटे को एक पुत्र हुआ।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और पिता बुजुर्ग होने लगे। उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता था। बेटे ने अपने पिता के लिए पहली मंजिल पर एक ऐसा कमरा तैयार करवाया जिसमें हर तरह की सुख सुविधा थी, जिससे कि उनको बिल्कुल भी तकलीफ ना हो।
एक दिन पिता ने अपने बेटे से जिद की कि तुम मेरा पलंग गैलरी में डलवा दो। मुझे उस कमरे में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है। बेटे ने पिता से पूछा कि आपके लिए कमरे में हर सुख सुविधा उपलब्ध है। फिर भी आप गैलरी में पलंग डलवाने की जिद क्यों कर रहे हैं।
पिता ने कहा कि भले ही कमरे में सभी सुख सुविधा उपलब्ध है। लेकिन तुम मेरा पलंग गैलरी में डलवा दो। बेटा ने अपने पिता की बात मान ली और पिता का पलंग गैलरी में डलवा दिया।
हर समय पलंग पर लेटे रहने वाले पिता गैलरी में पहुंचने के बाद अब चलते-चलते गेट तक पहुंच जाते थे। वे अपने पोते के साथ खेलते, बोलते और मुस्कुराते थे। जबकि बेटे से अपनी मनपसंद चीजों की मंगवाते थे। धीरे-धीरे करके बुजुर्ग पिता का स्वास्थ्य ठीक होने लगा।
जब एक दिन उनका बेटा शाम को लौटा था तो उसने देखा कि उसका 5 साल का बेटा अपने दादा जी से गैलरी में पड़ी गेंदें उठा कर देने को बोल रहा था। यह सुनकर बेटे ने अपने 5 साल के बेटे को डांट दिया और कहा कि तुम उनसे ऐसा मत कहा करो। 5 साल के मासूम लड़के ने हंसते हुए अपने पिता से कहा कि वह तो मुझे हर रोज बॉल उठा कर देते हैं।
बुजुर्ग पिता ने बेटे से कहा कि तुमने मुझे भले ही ऊपर वाले कमरे में सभी सुख-सुविधाएं दी थी। लेकिन वहां कोई अपना नहीं था। मेरी तुम लोगों से बातचीत भी नहीं हो पाती थी। इसके बाद जब मेरा पलंग गैलरी में पड़ गया तो मैं तुम लोगों से बातचीत कर लेता और शाम के साथ अपने पोते के साथ भी खेल लेता। धीरे-धीरे करके मेरा स्वास्थ्य ठीक होने लगा। इतना सुनने के बाद बेटे को अपनी गलती समझ में आ गई।
लाइफ मैनेजमेंट
आप सभी को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि बुजुर्गों को सुख-सुविधाओं की नहीं बल्कि अपनी संतान से प्यार की जरूरत होती है। जैसे बड़ा पेड़ बिना पानी के मुरझा जाता है, वैसे ही बुजुर्ग लोग बिना प्यार और अपनेपन के बीमार पड़ जाते हैं। इसलिए आप सभी अपने बुजुर्गों के लिए टाइम निकालें, उनके साथ बातचीत करें और उनका सम्मान करें।