किसी शहर में एक बुजुर्ग महिला अपने बेटे के साथ रहती थी, उस महिला की एक आंख खराब थी, पति भी एक्सीडेंट में मर गया था, उसने घरों में छोटे-मोटे काम करके अपने बेटे को पढ़ाया-लिखाया, लेकिन……

किसी शहर में एक महिला अपने बेटे के साथ रहा करती थी। लेकिन महिला की एक आंख खराब थी। इस वजह से वह अच्छी नहीं दिखती थी। उसका पति भी एक्सीडेंट में मर गया था। महिला ने घरों में छोटे-मोटे काम करके अपने बेटे को पढ़ाया और बहुत प्यार से उसे बड़ा दिया।

महिला की एक आंख नहीं थी तो उसका बेटा उससे नफरत करने लगता है, पढ़ाई-लिखाई के बाद वह देश छोड़कर विदेश में जाकर बस गया, मां की मौत के बाद जब बेटा वापस

एक दिन बेटा जब अपना लंच बॉक्स घर पर ही भूल गया तो मां उसे लंच बॉक्स देने स्कूल गई। जब उसके साथी बच्चों ने उनका चेहरा देखा तो सब हंसने लगे। यह बात उसे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी और उसे अपने दोस्तों के सामने शर्मिंदगी महसूस होने लगी। इसके बाद जब बेटा घर लौटा तो उसने अपनी मां को काफी बुरा-भला कहा और यह भी सोच लिया कि वह बड़ा होने के बाद यहां से चला जाएगा।

लड़के ने स्कूल पास करने के बाद कॉलेज में पढ़ाई की तो उसे विदेश में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिल गई। इसके बाद लड़का पढ़ने के लिए विदेश चला गया और वहीं नौकरी करने लगा। जल्द ही उसने शादी भी कर ली और अपना जीवन आराम से बिता रहा था। लेकिन उसने अपनी मां के बारे में कभी नहीं सोचा।

जब भी उसकी मां फोन करती थी तो वह उनसे ढंग से बात भी नहीं करता था। लेकिन कुछ दिनों बाद उसकी मां का देहांत हो गया। इसके बाद बेटे को मां का अंतिम संस्कार करने आना पड़ा। जब वह मां का अंतिम संस्कार करने के बाद घर पहुंचा तो उसे चिट्ठी मिली। उस चिट्ठी में लिखा था कि प्यारे बेटे मैंने तुम्हारा बहुत इंतजार किया, लेकिन तुम नहीं आए। मुझे पता है कि तुम्हें मेरी वजह से शर्मिंदगी महसूस होती थी। लेकिन आज मैं तुम्हें एक ऐसी बात बताने जा रही हूं, जो तुम्हें नहीं पता।

जब तुम छोटे थे तो तुम्हारे पिताजी हमें घुमाने के लिए ले गए थे। उसी समय तुम्हारे पिताजी की एक्सीडेंट में मौत हो गई और तुम्हारी एक आंख की रोशनी चली गई। मैं तो अपना जीवन बिता चुकी थी, लेकिन तुम्हारे सामने तुम्हारी पूरी जिंदगी पड़ी थी। इसलिए मैंने अपनी एक आंख तुम्हें दे दी और मां की इस बात को पढ़ते ही बेटे की आंखों में आंसू आ गए और उसे अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ। लेकिन उसके बाद रोने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था।

लाइफ मैनेजमेंट

जब भी मां-बाप बूढ़े हो जाते हैं तो बच्चे उन्हें बोझ समझने लगते हैं। लेकिन बच्चे यह भूल जाते हैं कि जब छोटे थे तो इन्हीं मां-बाप ने उन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया था। बचपन में मां-बाप ने बच्चों का ध्यान रखा था, उसी तरह बच्चों का कर्तव्य है कि वे अपने मां-बाप का ध्यान रखें।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *